हाईकोर्ट: थीम पार्क के प्रस्ताव को लेकर 30 जनवरी को होने वाली आमसभा की बैठक स्थगित करने से इनकार
- हाईकोर्ट ने कहा-सरकार में नागरिकों और अदालतों का विश्वास बरकरार रखा जाना चाहिए
- 30 जनवरी को होने वाली आमसभा की बैठक
- बैठक स्थगित करने से इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महालक्ष्मी रेसकोर्स में सार्वजनिक उद्यान या थीम पार्क के प्रस्ताव को लेकर 30 जनवरी को होने वाली आम सभा की बैठक को स्थगित करने से इनकार कर दिया। अदालत ने गुरुवार को कहा कि सत्ता में चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो, सरकार में नागरिकों और अदालतों का विश्वास बरकरार रखा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति जीएस पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार के पिछले साल 6 दिसंबर में महालक्ष्मी रेसकोर्स में सार्वजनिक उद्यान या थीम पार्क के प्रस्ताव को लेकर पत्र को चुनौती देने वाली रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब (आरडब्ल्यूआईटीसी) समेत तीन याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि ऐसी याचिकाएं आशंकाओं के साथ अदालत में क्यों आती हैं? हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह शासन की विफलता है। शासन की धारणा इन याचिकाओं को प्रेरित करती है। नागरिकों या अदालतों के रूप में हमें शासन प्रक्रिया में एक निश्चित स्तर का विश्वास रखना होगा।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा 2013 में समाप्त हो चुके पट्टे के नवीनीकरण के लिए नियमों और शर्तों पर विचार करने के लिए आरडब्ल्यूआईटीसी के साथ एक असाधारण आम बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने चिंता जताई कि पट्टे का हिस्सा नहीं होने वाली भूमि का उपयोग अंतरराष्ट्रीय थीम पार्क या सार्वजनिक उद्यान के लिए किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि ये फैसले जनहित के खिलाफ हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
महाधिवक्ता सराफ ने दलील दी कि ये आशंकाएं समय से पहले हैं, क्योंकि सरकार ने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि इस स्तर पर कार्यकारी प्राधिकारी को किसी विशेष तरीके से निर्णय न लेने का आदेश जारी नहीं कर सकता है। अदालत ने महाधिवक्ता सराफ के इस बयान से सहमत है कि पिछले साल 6 दिसंबर अपने आप में कोई निर्णय नहीं लिया गया था, बल्कि केवल एक प्रस्ताव बनाया गया था।
शहर के नामचीन होटलों समेत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को हाई कोर्ट से झटका
शहर के नामचीन होटलों और व्यावसायिक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने लाइसेंस के बिना फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड (पीपीएल) की कॉपीराइट के तहत रिकॉर्डिंग गाने और ध्वनि के गाने बजाने पर रोक लगा दिया है। न्यायमूर्ति आर.आई. चागला की एकलपीठ के समक्ष नोवेक्स कम्युनिकेशन प्रा.लि.(नोवेक्स) और फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड (पीपीएल) की ओर से वकील धीरेंद्र प्रताप सिंह एवं वकील अमोघ सिंह की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि 80 साल पुरानी पीपीएल इंडिया एक संगीत लाइसेंसिंग कंपनी है, जिसका कई भाषाओं में चार मिलियन से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय गाने और ध्वनि रिकॉर्डिंग पर कॉपीराइट है। होटल समेत व्यावसायिक प्रतिष्ठान पीपीएल से लाइसेंस ले सकते हैं। पीपीएल अपने संगीत का उपयोग करने वाले प्रतिष्ठानों से जो लाइसेंस शुल्क मांगता है, वह बहुत मामूली होता है। हालांकि भारत में संगीत हर अवसर पर एक आवश्यक भूमिका निभाता है, कई लोगों की इसके उपयोग के लिए भुगतान न करने की मानसिकता होती है। इसके परिणामस्वरूप न केवल असली मालिकों के लिए, बल्कि पूरे रचनात्मक समुदाय के लिए भी भारी नुकसान होता है। खंडपीठ ने पीपीएल और नोवेक्स की दलीलों को स्वीकार करते हुए होटलों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाइसेंस लेकर ही गाने बजाने का आदेश दिया है।