रियल एस्टेट परियोजनाओं की अब होगी रैंकिंग और ग्रेडिंग, हर 6 महीने में वेबसाइट होगी जारी
- घर खरीदारों के हित में महारेरा की पहल
- दो चरणों में होगा परियोजनाओं का मूल्यांकन
- ग्रेडिंग के लिए जनवरी, 23 के बाद पंजीकृत आवासीय परियोजनाएं पात्र
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सुजीत गुप्ता। घर खरीदारों के हित में महाराष्ट्र हाउसिंग रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) की ओर से अहम पहल की गई है। नियामक की ओर से रियल एस्टेट परियोजनाओं की रैंकिंग और ग्रेडिंग की जाएगी। साल में दो बार उक्त परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा। हर छह महीने में महारेरा की वेबसाइट पर संबंधित प्रोजेक्ट की रैंकिंग सार्वजनिक की जाएगी। इन उपायों से परियोजना की प्रगति पता चलेगी। इन्हें देख कर निवेशक-घर खरीदार फैसला कर सकते हैं कि प्रोजेक्ट में निवेश करना चाहिए या नहीं। माना जा रहा कि इससे बिल्डरों के भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगेगा।
महारेरा ने आवास परियोजनाओं की ग्रेडिंग के लिए प्रस्तावित मानदंडों को अंतिम रूप दे दिया है। ग्रेडिंग के लिए जनवरी, 23 के बाद पंजीकृत आवासीय परियोजनाएं पात्र रहेंगी। अप्रैल, 2024 से अस पर अमल की उम्मीद है। 1 अक्टूबर से 31 मार्च (2024) तक की परियोजनाएं इसमें शामिल की जाएंगी। इसे "महारेरा रेटिंग टेबल" के नाम से जाना जाएगा।
बिल्डर देंगे जानकारी
परियोजना की प्रगति की जानकारी बिल्डर-डेवलपर खुद महारेरा को देंगे। महारेरा का तकनीकी विभाग इसकी जांच करेगा। इसके बाद ग्रेडिंग तय की जाएगी। इससे घर खरीदारों को मदद मिलेगी। अच्छी ग्रेडिंग वाले प्रोजेक्ट्स में ही घर खरीदना सुरक्षित माना जाएगा।
महारेरा ने मंगाए थे सुझाव
महारेरा ने 16 जून को अपनी वेबसाइट पर सुझाव और आपत्तियां 15 जुलाई तक आमंत्रित की थीं। उपभोक्ता हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सुझावों एवं आपत्तियों के मद्देनजर नियामक ने अंतिम निर्णय लिया है।
घर बैठे पता चलेगी स्थिति
महारेरा के नियम के अनुसार डेवलपर्स की ओर से फॉर्म 3, 4 और 5 को हर 3 महीने और वार्षिक आधार पर वेबसाइट पर अपडेट करना आवश्यक है। यदि घर खरीदार के सामने कोई समस्या आती है तो एक विशेष शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति करने और उसका नाम, संपर्क नंबर परियोजना स्थल और वेबसाइट पर सार्वजनिक करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
दो चरणों में होगा मूल्यांकन
परियोजना मूल्यांकन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में "प्रोजेक्ट विवरण" स्थान, डेवलपर, सुविधाएं आदि शामिल हैं। तकनीकी विवरण में प्रारंभ प्रमाणपत्र (सीसी), त्रैमासिक, वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट, कितना प्रतिशत पंजीकरण, परियोजना कितनी पूरी हुई। "वित्तीय विवरण" में वित्तीय बोझ, परियोजना की वित्तीय प्रगति, वार्षिक ऑडिट प्रमाणपत्र आदि शामिल हैं। इसी आधार पर रैंकिंग तय की जाएगी।