पुणे: महानगरपालिका (पीएमसी) ने कोंढवा गांव में हज हाउस के निर्माण से किया इनकार
- बॉम्बे हाई कोर्ट में पीएमसी ने दाखिल किया हलफनामा
- हज हाउस की जगह सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए भवन के निर्माण का दावा
- पुणे हज हाउस को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) ने शुक्रवार बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर पुणे के कोंढवा गांव में हज हाउस के निर्माण से इनकार किया। हलफनामा में हज हाउस की जगह सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए भवन के निर्माण का दावा किया गया है। अदालत ने इसको लेकर याचिकाकर्ता हिंदुत्व समर्थक नेता मिलिंद एकबोटे को जवाब फाइल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने शुक्रवार को सकल हिंदू समाज से जुड़े हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे की ओर से वकील कपिल राठौर की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीएमटी की ओर से पेश हुए वकील अभिजीत कुलकर्णी ने हलफनामा दाखिल किया, जिसमें पुणे के कोंढवा गांव में 999 स्क्वायर फिट की 30 करोड़ रुपए की जगह पर सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए भवन का निर्माण किया जा रहा है। उस भूमि पर हज हाउस नहीं बन रहा है। पीएमसी के हलफनामे के मुताबिक 25 जुलाई 2016 को पीएमसी के अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें कोंढवा गांव की जगह पर हज हाउस बनाने पर विचार किया गया था।
12 फरवरी 2018 को पीएमसी आयुक्त के साथ हज हाउस को लेकर अधिकारियों की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक में कोंढवा गांव की आरक्षित भूमि पर हज हाउस की जगह पर सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए 6 करोड़ रुपए भवन का निर्माण किए जाने का निश्चय किया गया। इसके लिए 99 लाख रुपए पास किया गया। 2021-22 में इस भवन के लिए 1 करोड़ रुपए और पास किया गया। एकबोटे के दायर जनहित याचिका में 30 करोड़ रुपए की सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए आरक्षित भूमि पर विशेष समूदाय के लिए पीएमसी करोड़ों की लागत से हज हाउस का निर्माण करा रही है।
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि हज हाउस को दी गई भूमि पुणे के कोंढवा क्षेत्र और उसके आसपास के लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए आरक्षित था। हज हाउस के निर्माण के लिए भूमि का उपयोग बदल दिया गया। हज हाउस का निर्माण विशेष समुदाय की धार्मिक गतिविधि के अंतर्गत आता है और यह वर्तमान परिदृश्य में स्वीकार्य नहीं है। इससे केवल एक समुदाय को ही लाभ मिलेगा। पंढरपुर में लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया जाता है। राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने साल 2017 में कोंढवा में हज हाउस का उद्घाटन किया था।