बॉम्बे हाईकोर्ट: पुणे के ओशो इंटरनॅशनल फाउंडेशन के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल

  • ओशो फाउंडेशन में धांधली को देखते हुए सरकारी प्रशासक नियुक्त करने की मांग
  • ओशो इंटरनॅशनल फाऊंडेशन के खिलाफ याचिका

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-03 15:51 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुणे के ओशो इंटरनॅशनल फाऊंडेशन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में फाउंडेशन में हो रही धांधली को देखते हुए सरकारी प्रशासक नियुक्त करने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को ओशो आश्रम की साधक निवेदिता शर्मा की ओर से वकील ज्योती सदावर्ते ने याचिका दायर किया। याचिका में दावा किया गया है कि पुणे के कोरेगांव पार्क स्थित ओशो का बड़ा आश्रम है। यह आश्रम 14 एकड़ की जमीन पर बना है। ओशो की मृत्यु के बाद अब आश्रम को ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन चला रहा है. इस फाउंडेशन में 10 ट्रस्टी हैं, जिसमें 5 विदेशी और 5 भारतीय हैं। फाउंडेशन के ट्रस्टी धांधली कर रहे हैं। ओशो या रजनीश के साधकों को आश्रम में आने से रोक जा रहा है। ओशो की समाधी के दर्शन के लिए एक हजार फी ली जा रही है। ट्रस्ट की जमीन टुकड़े-टुकड़े में बेचा जा रहा है।

ओशो आश्रम ध्यान साधना के लिए प्रसिद्ध है. 80 से भी ज्यादा देशो से लोग यहां ध्यान साधना करने आते रहते हैं। इसमें पुरुष और महिला सभी आते रहते है. यहां रहकर ध्यान साधना करने वालों को संन्यासी कहा जाता है. ऐसे लाखों संन्यासी है, जो ओशो को फॉलो करते हैं. ट्रस्टी ओशो के अनुयायियों को परेशान कर रहे हैं।

पुणे स्थित आश्रम यानी ओशो मेडिटेशन सेंटर पर आंशिक मालिकाना हक रखने वाले ओआईएफ ने 2020 में वित्तीय संकट का हवाला देकर इस भूखंड को बेचने का प्रस्ताव दिया था। 2021 के शुरू में जब ओशो के शिष्यों को इस सबके बारे में पता चला, तो उन्होंने भूखंड बिक्री का विरोध करना शुरू कर दिया. उनमें से कुछ ने 2022 बोली के खिलाफ दखल के लिए चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय में आवेदन किया था और उसके खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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