मुंबई: कल से शुरू हो रहे आरटीई दाखिलों पर निजी स्कूलों ने जताई नाराजगी - बकाया चुकाए सरकार
- सीटों पर पहले ही दाखिले होने का भी किया दावा
- कहा पहले बकाया चुकाए सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आरटीई के तहत आवेदन की प्रक्रिया शुक्रवार 17 मई से शुरू हो रही है लेकिन निजी स्कूलों के संचालक इस बदलाव से नाराज हैं। निजी स्कूलों के प्रबंधकों का आरोप है कि सरकार ने इकतरफा आदेश जारी किया है और प्रक्रिया शुरू करने से पहले उन्हें भरोसे में नहीं लिया। महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन (मेस्टा) के संस्थापक अध्यक्ष संजयराव पाटील ने कहा कि जब सरकार ने अपने स्कूलों में आरटीई के तहत विद्यार्थियों को दाखिला देने से जुड़ा आदेश निकाला तो हमने अपने स्कूलों की सभी सीटों पर सामान्य तरीके से दाखिला देना शुरू कर दिया।
जो लोग फर्जी आय प्रमाणपत्र बनाकर आरटीई के तहत दाखिला लेते थे उन्होंने रास्ता बंद होते देख पैसे भरकर अपने बच्चों के दाखिले करा दिए हैं। हमारे पास आरटीई के दाखिले के लिए 25 फीसदी सीटें ही नहीं बचीं हैं। पाटील ने कहा कि आरटीई का बकाया बढ़कर 2400 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है लेकिन सरकार पैसों के भुगतान पर कुछ नहीं बोल रही है। सवाल यह भी है कि आचारसंहिता लागू है तो सरकार कोई आदेश कैसे जारी कर सकती है। उन्होंने कहा कि मामले में अपना पक्ष रखने के लिए हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है 12 जून को इस पर सुनवाई होनी है।
पाटील ने यह भी दावा किया कि अदालत ने सरकार द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया स्थगित की है निजी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू करने का कोई निर्देश नहीं है। इंडिपेन्डेंट इंग्लिश स्कूल्स एसोसिएशन के भरत भंडारगे ने कहा कि हमें न सरकार ने भरोसे में लिया और न अदालत ने, हमारे लिए सिर्फ आदेश जारी कर दिए जाते हैं। अगर अदालत दाखिले के निर्देश देती है तो उसे आरटीई दाखिले की बकाया रकम चुकाने के आदेश भी जारी करना चाहिए। आरटीई के दाखिले बंद होने से हमें भी राहत मिली थी क्योंकि हमारा आर्थिक बोझ कम हो रहा था।
पांच साल से आरटीई का भुगतान नहीं हो रहा है हम बिना पैसों के स्कूल कैसे चलाएंगे। बता दें कि स्कूली शिक्षा विभाग ने कोर्ट के आदेश के बाद आरटीई दाखिले की प्रक्रिया नए शिरे से शुरू की है जिसके तहत अब 9138 निजी स्कूलों की 102434 सीटों पर आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों को दाखिले दिए जाएंगे।