बॉम्बे हाईकोर्ट: लखन भईया फर्जी एनकाउंटर मामले में प्रदीप शर्मा को आजीवन कारावास की सजा
- 12 पुलिसकर्मियों समेत 13 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा बरकरार
- 6 दोषी नागरिक बरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा कथित गैंगस्टर रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी एनकाउंटर के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें तीन सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया है। ठाणे के व्यवसाई मनसुख हिरेन हत्या मामले में आरोपी शर्मा सुप्रिम कोर्ट से जमानत पर जेल से बाहर है। सेशन कोर्ट ने लखन भैया के फर्जी एनकाउंटर मामले में शर्मा को बरी कर दिया था। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने 8 नवंबर 2023 को राज्य सरकार और लखन भईया के राम प्रसाद गुप्ता की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा था। खंडपीठ ने पाया कि लखन भईया फर्जी एनकाउंटर में प्रदीप शर्मा की मुख्य भूमिका रही। सुनवाई के दौरान कई ऐसे सबूत सामने आए, जिससे सेशन कोर्ट से शर्मा को बरी किए जाने सवाल उठाया गया है। खंडपीठ ने न केवल शर्मा को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, बल्कि उनके साथी 12 पुलिसकर्मियों समेत 13 दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। हालांकि अदालत ने लखन भईया को नवी मुंबई से अपहरण कर अंधेरी (प.) के डी.एन.नगर लाने वाले 6 दोषी नागरिकों को बरी कर दिया। सेशन कोर्ट की सजा के बाद एक नागरिक और एक पुलिसकर्मी की मृत्यु हो गई थी। खंडपीठ ने उनकी सजा को समाप्त कर दिया गया। खंडपीठ ने कहा कि पुलिस दस्ते के गठन, गलत तरीके से कारावास, अपहरण और फर्जी मुठभेड़ से लेकर अभियोजन पक्ष की सभी परिस्थितियां साबित हो चुकी हैं। 2011 में गवाही से कुछ दिन पहले चश्मदीद गवाह अनिल भेड़ा की मौत शर्मनाक और न्याय का मजाक है। मुख्य गवाह की जान चली गई, लेकिन किसी पर भी मामला दर्ज नहीं किया गया। हमें उम्मीद है कि भेड़ा के अपराधियों पर मुकदमा चलाया जाएगा। खंडपीठ ने कहा कि प्रदीप शर्मा को लेकर ट्रायल कोर्ट द्वारा सभी परिस्थितियों को अनदेखा किया गया था। सबूतों की अनदेखा कर शर्मा को बरी करने का निष्कर्ष विकृत और अस्थिर था। परिस्थितियां प्रदीप शर्मा के अपराध की ओर इशारा करती हैं।
क्या था मामला
वाशी निवासी लखन भईया (33) की 11 नवंबर 2006 को वर्सोवा में फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। जुलाई 2013 में मुख्य आरोपी प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने उस बैलिस्टिक रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया, जिसमें दिखाया गया था कि लाखन भैया के सिर से बरामद गोली शर्मा की बंदूक से चली थी। लखन भईया के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने अपने भाई के कथित अपराधियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुठभेड़ से पहले उन्होंने अपने भाई के अपहरण की रिपोर्ट करते हुए तत्कालीन पुलिस आयुक्त ए.एन.रॉय को जो टेलीग्राम भेजा था, उसके कारण हाई कोर्ट ने 2009 में मामले की फिर से जांच करने के लिए तत्कालीन पुलिस उपायुक्त के.एम.प्रसन्ना की अध्यक्षता में एक एसआईटी को आदेश दिया था।