बॉम्बे हाईकोर्ट: 20 से कम विद्यार्थियों के सरकारी स्कूलों का क्लस्टर बनाने की योजना पर अभी नहीं होगा अमल
- सरकार ने अदालत में दाखिल किया हलफनामा
- स्वत: संज्ञान (सुमोटो) याचिका पर सुनवाई
- ग्रामीण क्षेत्र के 20 से कम विद्यार्थियों के सरकारी स्कूलों को स्कूलों के समूह (क्लस्टर) बनाने की नई योजना पर राज्य सरकार अभी नहीं करेगी अमल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ग्रामीण क्षेत्रों में 20 से कम विद्यार्थियों के नामांकन वाले सरकारी स्कूलों को विलय करके स्कूलों के समूह (क्लस्टर) बनाने की नई योजना पर राज्य सरकार अभी अमल नहीं करेगी। सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह बात कही। पिछले दिनों अदालत ने इस मामले में सुमोटो (स्वत: संज्ञान) याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था। राज्य शिक्षा विभाग की नई योजना पर अमल से ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 15 हजार छोटे स्कूल बंद हो सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डाक्टर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को अदालत के स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से पेश हुए वकील प्रिय भूषण काकड़े ने खंडपीठ के समक्ष हलफनामा दाखिल कर कहा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में 20 से कम विद्यार्थियों के नामांकन वाले सरकारी स्कूलों को विलय करके स्कूलों के समूह(क्सस्टर) बनाने की नई योजना पर सरकार अभी अमल नहीं कर रही है।
सरकार की नई योजना का शिक्षकों के संगठन शिक्षक भारती विरोध कर रहा है। उनका दावा है कि यह योजना सीधे तौर पर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि बच्चे के निवास से 1 किमी के भीतर एक प्राथमिक विद्यालय और 3 किमी के भीतर एक माध्यमिक विद्यालय उपलब्ध कराया जाना चाहिए। नई योजना में बताए गए मानदंडों के अनुसार समूह स्कूल का स्थान मूल स्कूल से बस से 40 मिनट से अधिक दूर नहीं होना चाहिए।
यानी नई योजना के मुताबिक कम से कम 20 किमी से अधिक की दूरी तय कर विद्यार्थियों को स्कूल जाना होगा। ग्रामीण या पहाड़ी इलाकों में यह 40 मिनट बहुत लंबी दूरी है। राज्य में 1 लाख 10 हजार से अधिक स्कूल हैं, जिनमें से लगभग 65 हजार स्कूल सरकार चलाती है। सरकार पुणे जिले के पानशेत और नंदुरबार जिले के तोरणमल में समूह (क्लस्टर) स्कूलों को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चला रही है।