मराठा आरक्षण: जरांगे-पाटील की भूख हड़ताल को पीएचडी छात्रों ने दिया समर्थन, एक बार फिर अनशन

  • राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को कानून में बदलने की मांग
  • अगले दो दिनों में विधानमंडल का विशेष अधिवेशन आयोजित करें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-11 15:01 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को कानून में बदलने की मांग को लेकर मनोज जरांगे-पाटील एक बार फिर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। हड़ताल के दूसरे दिन जरांगे-पाटील ने न तो डॉक्टरों से अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाया और न ही पानी और अन्न ग्रहण किया। जरांगे-पाटील की मांग है कि अगले दो दिनों में विधानमंडल का विशेष अधिवेशन आयोजित कर राज्य सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है उसको कानून बनाकर मराठा समाज को न्याय देने का काम करना चाहिए।

रविवार को जरांगे से राज्य भर के दो सौ से ज्यादा पीएचडी के विद्यार्थियों ने मुलाकात की और उन्हें अपना समर्थन दिया। जरांगे-पाटील का कहना है कि जब तक राज्य सरकार सगे संबंधियों को कुणबी प्रमाण पत्र देने से संबंधित अधिसूचना को कानून में नहीं बदल देती तब तक उनकी भूख हड़ताल जारी रहेगी। हालांकि जरांगे द्वारा की जा रही हड़ताल को लेकर राज्य सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने अभी तक उनसे मुलाकात नहीं की है।

मनोज जरांगे पाटिल ने शनिवार को एक बार फिर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया। जरांगे ने मसौदा अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए दो दिनों में राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। एक साल से भी कम समय में यह चौथी बार है जब जरांगे मराठा समुदाय को ओबीसी समूह में शामिल करने की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं।

एक साल से भी कम समय में यह चौथी बार है जब जरांगे मराठा समुदाय को ओबीसी समूह में शामिल करने की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं। अनशन स्थल अंतरवाली सरती गांव में जरांगे ने दोहराया कि राज्य भर में मराठा समुदाय के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत वापस लिए जाएं।

सरकार को दो दिनों में राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाकर मराठा आरक्षण संबंधित कानून बनाए। सरकार को कुनबी रिकार्ड रखने वाले 57 लाख लोगों को ओबीसी जाति प्रमाण पत्र जारी करना चाहिए।

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