बॉम्बे हाईकोर्ट: देवनार बूचड़खाने के बाहर जानवरों की बलि देने पर रोक लगाने की मांग, याचिका दायर

  • 12 जून को मामले की सुनवाई
  • अस्थाई बूचड़खाने की इजाजत के खिलाफ जनहित याचिका दायर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-10 15:29 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. महानगर पालिक (बीएमसी) के 17 जून को बकरीद पर हवाई अड्डे के आसपास भेड़, बकरा और भैंस की बलि देने अस्थाई बूचड़खाने की इजाजत के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में बकरीद पर देवनार बूचड़खाना के बाहर जानवकों की बलि देने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। इस मामले की 12 जून को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को अखिल भारत कृषी गोसेवा संघ की ओर से वकील सिद्ध विद्या ने याचिका दायर किया। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 12 जून को रखी है। याचिका में दावा किया गया है कि 17 जून को बकरीद का त्यौहार है। मुस्लिम समाज के लोग बकरीद का त्यौहार देवनार बूचड़खाने में भेड़, बकरी और भैंस की बलि देकर मनाते हैं। यहां जानवरों को बलि देने की सभी सुविधाएं हैं। जबकि देवनार बूचड़खाने के बाहर के स्थानों पर जानवरों को बलि देने की कोई सुविधा नहीं है। बीएमसी ने बकरीद पर 47 बाजारों और 67 मांस की दुकानों में जानवरों को बलि देने को मंजूरी दी है, जहां लोग अपने जानवरों को ले जा सकते हैं और उन जगहों पर जानवरों की बलि दे सकते हैं।

बीएमसी उन जगहों को अस्थायी बूचड़खानों में परिवर्तित नहीं कर सकती है। याचिका में इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। याचिका के मुताबिक लाइसेंस प्राप्त बूचड़खाने के बाहर जानवरों की बलि की विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण, हवाई जहाज, पशु कल्याण और परिवहन कानून के खिलाफ है। मुंबई में जानवरों को केवल देवनार बूचड़खाने में ही बलि दी जाए। यह एशिया के सबसे बड़े बूचड़खानों में से एक है। अस्वास्थ्यकर भोजन खाने से हजारों लोग पीड़ित हो सकते हैं। जबकि इन सभी कानूनों का उल्लंघन दंडनीय अपराध है।बीएमसी के बाजार और मांस की दुकानें ज्यादातर भीड़ भाड़ वाली जगहों में होती हैं, जिनमें मलमूत्र, रक्त और हड्डियां आदि के वैज्ञानिक निपटान की कोई सुविधा नहीं होती है। इसलिए ऐसा भोजन खाना खाने वालों के हित में नहीं है। उन बाजारों में मांस की दुकानों पर ‘वध के लिए उपयुक्त’ प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कोई पशु चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए बिना किसी जांच के भी अयोग्य और बीमार जानवरों का वध कर दिया जाएगा।

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