बॉम्बे हाईकोर्ट: एयर इंडिया कॉलोनी की खाली इमारतों को गिराने के खिलाफ याचिका खारिज, कुणाल कामरा को भी आश्वासन

  • एक स्कूल समेत लोगों के रहने वाली इमारतों के संबंध में उचित देखभाल एमआईएएल ने दिया था आश्वासन
  • याचिका में 19 खाली इमारतों को अवैध रूप से ध्वस्त करना लगाया गया था आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-05 14:57 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को एयर इंडिया स्टाफ कॉलोनी एसोसिएशन की एक याचिका खारिज कर दी। याचिका में दावा किया गया था कि मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) ने सांताक्रूज (पूर्व) के कलिना स्थित एयर इंडिया कॉलोनी में 19 खाली इमारतों को अवैध रूप से ध्वस्त करने की पहल की थी। न्यायमूर्ति राजेश एन.लड्ढा की एकलपीठ के समक्ष सोमवार को एयर इंडिया स्टाफ कॉलोनी एसोसिएशन की ओर से वकील रीता जोशी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने अदानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा नियंत्रित एमआईएएल के बयान को स्वीकार करते हुए एसोसिएशन की याचिका खारिज कर दी। एमआईएएल ने पीठ के समक्ष बयान दिया था कि वह केवल 19 खाली इमारतों को ध्वस्त करेगा और परिसर में एक स्कूल समेत लोगों के रहने वाली इमारतों के संबंध में उचित देखभाल की जाएगी। पीठ ने माना कि दिंडोशी सिटी सिविल कोर्ट के 25 जनवरी के आदेश में कोई खामी नहीं थी, जिसमें एसोसिएशन के पक्ष में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया गया था। अदालत ने 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा संबंधित मामले की सुनवाई होने तक दो सप्ताह तक मामले में यथास्थिति जारी रखने के एसोसिएशन के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। एयर इंडिया कॉलोनी 184 एकड़ भूमि में फैली हुई है और इसमें एयरलाइन में कार्यरत 350 परिवार रहते हैं, जो हैंडओवर के खिलाफ हैं। योजना के तहत एमआईएएल ने एयर इंडिया के कर्मचारियों के विरोध के बीच एयर इंडिया कॉलोनी में 19 खाली इमारतों को ध्वस्त करने की शुरुआत की थी। जिस जमीन पर कॉलोनी बनाई गई थी, वह राज्य सरकार के स्वामित्व में है और भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) को पट्टे पर दी गई थी, जिसने जमीन एयर इंडिया को दे दी है।

आईटी नियम संशोधन में अंतरिम राहत को लेकर कुणाल कामरा को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने दिया आश्वासन

बॉम्बे हाई कोर्ट आईटी नियम संशोधन में अंतरिम राहत को लेकर स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा समेत अन्य याचिका पर प्रशासनिक आदेश पारित कर सकता है। अदालत ने सोमवार को याचिकाकर्ताओं को इसका आश्वासन दिया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ से कुणाल कामरा समेत याचिकाकर्ताओं ने संपर्क किया और तथ्य-जांच इकाइयों (एफसीयू) के गठन की अधिसूचना को रोकने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के बयान का विस्तार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। कामरा के वकील नवरोज सीरवई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान को 13 बार बढ़ाया गया था। 31 जनवरी को खंडपीठ ने कहा था कि तथ्य-जांच इकाइयों (एफसीयू) के गठन की अधिसूचना को केवल 10 दिनों के लिए बढ़ाया गया था। इसमें पांच दिन बीत चुके हैं। खंडपीठ ने खंडित फैसले में याचिकाकर्ताओं को विस्तार का मुद्दा मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त तीसरे न्यायाधीश के समक्ष उठाने का निर्देश दिया था।सीरवई ने दलील दी कि हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार एक तीसरा न्यायाधीश केवल विभाजित फैसले में मतभेद पर फैसला दे सकता है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से बयान के विस्तार के विशिष्ट बिंदु पर निर्णय लेने के लिए न्यायमूर्ति जी.एस.पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ को पुनर्गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीरवई के उल्लेख का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें इस मुद्दे की आशंका थी और खंडपीठ ने पहले ही तीसरे न्यायाधीश को अंतरिम राहत के मुद्दे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने आश्वासन दिया कि वह एक प्रशासनिक आदेश पारित करेंगे। कामरा के अलावा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स जैसी अन्य संस्थाओं की याचिकाओं में संशोधित आईटी नियमों को चुनौती दी गई है, जिसमें केंद्र सरकार को एफसीयू के माध्यम से 'फर्जी समाचार' की पहचान करने का अधिकार देते हैं। न्यायमूर्ती गौतम पटेल जहां याचिकाकर्ताओं से सहमत थे, वहीं न्यायमूर्ति नीला गोखले इससे सहमत नहीं थीं।

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