मदद के हाथ: खुद कैंसर को मात दे चुके लोग बन रहे मरीजों का सहारा, सपोर्ट ग्रुप के जरिए दी जा रही मदद

  • अलग-अलग गतिविधियों से बढ़ाते हैं हौंसला
  • नौकरी दिलाने में भी करते हैं मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-01 00:00 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई दुष्यंत मिश्र, कैंसर से लड़ रहीं शोभना यादव का हौसला और बढ़ जाता है जब वे ऐसे लोगों से मिलतीं हैं जो पहले इस बीमारी को मात दे चुके हैं। शोभना उन दर्जनों कैंसर मरीजों में से एक हैं जो कैंसर सपोर्ट ग्रुप की बैठक में ऐसे लोगों से मिलतीं हैं जो या तो उनकी तरह कैंसर से जूझ रहे हैं या उसे हरा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग कैंसर को हरा चुके हैं उनसे मिलकर मुझमे हिम्मत आती है। इतने सारे कैंसर मरीजों को देखकर लगता है कि मैं अकेली नहीं हूं दूसरे भी यह लड़ाई लड़ रहे हैं इसलिए मुझे भी इसे मात देने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। मेरी 55 कीमोथेरेपी हो चुकी है और इलाज अब भी जारी है। कैंसर सपोर्ट ग्रुप में शामिल अमर बरनवाल खुद कैंसर को मात दे चुके हैं उन्होंने कहा कि जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में था तो जांच में पता चला कि मुझे ब्लड कैंसर है। तीन महीने के लिए मेरी आवाज बंद हो गई थी। अब भी रुक रुक कर बोलना पड़ता है। इलाज के दौरान मुझे समझ में आया कि कैंसर के मरीज किस तरह की चुनौतियों के जूझते हैं। इसके बाद मैंने खुद कैंसर कोच बन कर इस बीमारी से लड़ रहे लोगों की मदद का फैसला किया। मैं मिकी अमोघ फाउंडेशन से जुड़ गया जहां हम कैंसर के मरीजों की हर संभव मदद करते हैं। कैंसर के मरीज जब मेरे जैसे लोगों से मिलते हैं तो उनका हौंसला बढ़ता है उन्हें लगता है कि ये कर सकता है तो मैं क्यों नहीं।

अलग-अलग गतिविधियों से बढ़ाते हैं हौंसला

कैंसर के मरीजों की मदद करने वाले मिकी अमोघ फाउंडेशन के संस्थापक विवेक शर्मा ने कहा कि कैंसर मरीजों का हौंसला बढ़ाने के लिए हम अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। कैंसर सपोर्ट ग्रुप के आयोजनों में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हम मेडिटेशन, डांस, मनोवैज्ञानिक, डाइटीशियन जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को बुलाते हैं जो कैंसर के मरीजों को मुफ्त में ट्रेनिंग देते हैं। हम हर महीने होने वाले कैंसर सपोर्ट ग्रुप की बैठक में मरीज अपनी परेशानियां साझा करते हैं कैंसर से उबर चुके लोग और विशेषज्ञ उससे निपटने के लिए अपनी ओर से सुझाव देते हैं। कैंसर सर्वाइवर्स मरीजों को बताते हैं कि इन हालात में उन्होंने क्या किया था। शर्मा ने बताया कि समूह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए हम सोशल मीडिया की मदद लेते हैं साथ ही अस्पतालों में जाकर भी मरीजों से संपर्क करते हैं और समूह में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं।

नौकरी दिलाने में भी करते हैं मदद

विवेक शर्मा ने बताया कि समूह की बैठकों में शामिल होने वाले कैंसर मरीज कई बार आर्थिक तंगी का जिक्र करते हैं तो हम उनके लिए मुफ्त विग, दवाइयों, डॉक्टर की सलाह आदि की व्यवस्था करते हैं। साथ ही कई संस्थाएं हैं जो मरीजों को आर्थिक मदद भी देतीं हैं जिन्हें जरूरत हैं उनके लिए हम इन संस्थाओं से बात भी करते हैं।

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