बॉम्बे हाईकोर्ट: फुटपाथ पर सोने वालों के साथ चूहों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते, उपयुक्त व्यवस्था का निर्देश
- बीएमसी ने हलफनामा कर अवैध फेरीवालों पर दंडात्मक कार्रवाई करने का किया दावा
- अदालत में बिना लाइसेंस वाले फेरीवालों का मुद्दा
- बीएमसी को समाधान के लिए उपयुक्त व्यवस्था का दिया निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि फुटपाथ पर सोने वालों के साथ चूहों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते हैं। हमें उनकी समस्याओं के विषय में पता नहीं है और उन्हें हल करने के लिए कोई प्रयास भी नहीं कर रहे हैं। अदालत ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को बिना लाइसेंस वाले फेरीवालों के मुद्दे के समाधान के लिए उपयुक्त व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति गौतम एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल आर. खट्टा की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को स्वत: संज्ञान याचिका (सुमोटो) पर सुनवाई हुई। इस दौरान बीएमसी ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर कहा कि मुंबई में 1 लाख 10 हजार फेरीवालों में से 15 हजार लाइसेंस वाले फेरीवाले हैं। वह (बीएमसी) बिना लाइसेंस वाले फेरीवालों पर दंडात्मक कार्रवाई कर छोड़ देते हैं। इसके बाद वे दोबारा फेरी का धंधा लगाते हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि बीएमसी को बिना लाइसेंस वाले फेरीवालों के मुद्दे के समाधान के लिए उपयुक्त व्यवस्था करने चाहिए।
बोरीवली (पूर्व) के दो दुकान मालिकों ने याचिका दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उनकी दुकान के सामने फेरीवालों ने कई अनधिकृत स्टॉल लगा लिए हैं। अदालत ने दुकानदारों की याचिका को स्वत: संज्ञान याचिका (सुमोटो) में बदल दिया था। खंडपीठ ने कहा कि बीएमसी को बिना लाइसेंस वाले फेरीवालों की उपयुक्त व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे बुजुर्गों और विकलांग लोगों सहित पैदल चलने वालों के लिए वास्तव में चलने योग्य फुटपाथ उपलब्ध हों। बॉम्बे बार एसोसिएशन (बीबीए) ने भी हुतात्मा चौक (फ्लोरा फाउंटेन) या हाई कोर्ट क्षेत्र के आसपास स्टॉल लगाने के लिए फुटपाथ का उपयोग करने वालों के खिलाफ एक अंतरिम याचिका दायर की है।
बीबीए के वकील ने खंडपीठ को बताया कि हाई कोर्ट के आस-पास के फुटपाथ लोग सोते हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि फुटपाथ पर सोने वालों के साथ चूहों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते हैं। हमें उनकी समस्याओं के विषय में पता नहीं है और उन्हें हल करने के लिए कोई प्रयास भी नहीं कर रहे हैं। खंडपीठ ने बीएमसी को बिना लाइसेंस वाले फेरीवालों के मुद्दे के समाधान के लिए उपयुक्त व्यवस्था करने का निर्देश देते हुए उसे 4 सप्ताह का समय दिया है।