बॉम्बे हाईकोर्ट: संयुक्त चैरिटी आयुक्त का फैसला बरकरार रखते हुए ओशो फाउंडेशन की याचिका खारिज

  • पुणे के ओशो इंटरनॅशनल फाउंडेशन को लगा बड़ा झटका
  • रजनीश के साधकों की बड़ी जीत
  • आयुक्त के फैसले को बरकरार रखते हुए ओशो फाउंडेशन की याचिका की खारिज हुई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-09 15:07 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट से पुणे के ओशो इंटरनॅशनल फाउंडेशन को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने मुंबई के संयुक्त चैरिटी आयुक्त के फैसले को बरकरार रखते हुए ओशो फाउंडेशन की याचिका को खारिज कर दिया है। संयुक्त चैरिटी आयुक्त ने एमपीटी अधिनियम की धारा 36 (1) (ए) के तहत ओशो फाउंडेशन के ट्रस्टियों के 8 अप्रैल 2024 के आवेदन को अस्वीकार कर दिया था और उसे राजीव नयन राहुल कुमार बजाज और ऋषभ फैमिली ट्रस्ट से प्राप्त 50 करोड़ रुपए की बयाना राशि बिना ब्याज के वापस करने का निर्देश दिया जाता था।

न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पी.पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने याचिकार्ता के संयुक्त चैरिटी आयुक्त के फैसले को रद्द करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। याचिकाकर्ता के वकीलों ने संयुक्त चैरिटी आयुक्त के फैसले को रद्द करने का अनुरोध कहा कि पुणे स्थित आश्रम यानी ओशो मेडिटेशन सेंटर पर आंशिक मालिकाना हक रखने वाले ओआईएफ ने 2020 में आर्थिक संकट के कारण एक भूखंड को बेचने का प्रस्ताव दिया था। जब साल 2021 में ओशो के शिष्यों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने भूखंड बेचने का विरोध करना शुरू कर दिया.

याचिकाकर्ता ओशो फाउंडेशन ने एमपीटी अधिनियम की धारा 36 (ए) के तहत संयुक्त चैरिटी आयुक्त के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें राजीवनयन राहुलकुमार बजाज के माध्यम से राजीवनयन राहुलकुमार बजाज और ऋषभ फैमिली ट्रस्ट के पक्ष में ट्रस्ट की भूमि को 107 करोड़ में बेचने की मंजूरी मांगी गई थी। ओशो फाउंडेशन के ट्रस्टियों ने बजाज और ऋषभ फैमिली ट्रस्ट से भूमि का बयाना 50 करोड़ रुपए ले लिया था।

संयुक्त चैरिटी आयुक्त ने रजनीश के शिष्यों और अनुयायियों के आपत्तियों को स्वीकार करते हुए ट्रस्ट के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए उन्हें बजाज और ऋषभ फैमिली ट्रस्ट से बयाना के रूप में लिए गए 50 करोड़ रुपए बिना ब्याज के वापस करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन (ओआईएफ) का विशेष ऑडिट 2005 से 2023 की अवधि के लिए संबंधित एलडी द्वारा नियुक्त दो विशेष लेखा परीक्षकों की एक टीम द्वारा करने का निर्देश दिया गया है।

Tags:    

Similar News