महाराष्ट्र: समूह स्कूल योजना का विरोध, राज्य के 22 फीसदी स्कूलों के बंद होने की आशंका
- 14,783 स्कूल, 2 लाख विद्यार्थी और 50 हजार शिक्षकों पर असर
- ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र के स्कूलों पर ज्यादा प्रभाव
डिजिटल डेस्क, मुंबई। नई शिक्षा नीति के तहत राज्य में समूह स्कूल योजना लागू करने की तैयारी है लेकिन इसके चलते 14 हजार 783 यानी 22 फीसदी स्कूल बंद हो सकते हैं। ‘मराठीच्या व्यापक हितासाठी’ के प्रमुख संयोजक श्रीपाद जोशी ने यह आशंका जताई। उन्होंने कहा कि अगर विद्यार्थियों की कमी के चलते स्कूल बंद करने की नीति लागू करनी पड़े तो महाराष्ट्र को भी तमिलनाडु और कर्नाटक की ही तरह नई शिक्षा नीति लागू करने से इनकार कर देना चाहिए। जोशी ने कहा समूह स्कूल योजना लागू होने से ग्रामीण, आदिवासी इलाकों के ही स्कूल बंद होंगे, जिससे बहुजन समाज के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। जोशी ने कहा कि राज्य सरकार अब भी आधिकारिक रुप से यह जानकारी साझा नहीं कर रही है इस योजना के चलते कितने स्कूल बंद होंगे इसलिए इसे लेकर अलग-अलग अनुमान लगाए जा रहे हैं।
दरअसल नई शिक्षा नीति में स्कूलों को बेहतर बनाने की योजना के तहत जिन स्कूलों में कम बच्चे पढ़ते हैं उन्हें एक साथ मिलाकर बड़ा स्कूल बनाया जाए जहां ज्यादा सुविधाएं हों। 10 किलोमीटर तक के दायरे में आनेवाले स्कूल इसमें शामिल किए जा सकते हैं। अगर राज्य में इस योजना पर अमल किया गया तो करीब दो लाख विद्यार्थियों और 30 हजार शिक्षकों पर इसका असर पड़ सकता है। जोशी ने कहा कि यह नियम केंद्र सरकार के ही शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन करता है जिसके मुताबिक विद्यार्थियों के घर से प्राथमिक स्कूल 1 किलोमीटर जबकि माध्यमिक स्कूल 3 किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं होना चाहिए। अगर विद्यार्थियों को ज्यादा दूर जाना होगा तो डर है कि अभिभावक उन्हें पढ़ने ही ना भेजें।
मराठी भाषा के स्कूलों को ज्यादा नुकसान
मराठी शाला संस्थाचालक संघ के सुशील शेजुले ने कहा कि इस योजना का सबसे ज्यादा नुकसान मराठी माध्यम के स्कूलों को होगा। सरकार सरकारी स्कूल बंद करेगी और बाद में वहां निजी स्कूल शुरू कर दिए जाएंगे। अगर सरकार कोई स्कूल बंद कर रही है तो उस इलाके में निजी स्कूल खोलने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। शेजुले ने कहा कि राज्य सरकार की अपनी रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल राज्य में ढाई हजार ऐसी जगहें हैं जहां विद्यार्थियों के लिए स्कूल नहीं हैं। ऐसे में सरकार को स्कूलों को समाहित करने की जगह नए स्कूल खोलने पर विचार करना चाहिए।