बड़ी खामी: आईआरसीटीसी की टिकटिंग प्रणाली भेदकर हो रही थीकन्फर्म टिकट की ऑनलाइन बुकिंग
- भेदिया दे रहा दलालों को फायर वॉल बाइपास की जानकारी
- नेक्सस और गदर सॉफ्टवेयर से निकाल रहे कन्फर्म टिकट
- 36 घंटे ऑपरेशन, 30 दिन में 598 पीएनआर
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सुजीत गुप्ता। आईआरसीटीसी संचालित रेलवे टिकट प्रणाली की सुरक्षा में बड़ी खामी सामने आई है। इसे बाइपास करके टिकट दलाल धड़ल्ले से कन्फर्म टिकट निकाल रहा था। पश्चिम रेलवे विजिलेंस ने सूरत सेएक दलाल और सके सहायक को रंगे हाथ टिकट निकालते हुए पकड़ा है। यह कारवाई भारतीय रेलवे में अब तक की सबसे बड़ी लाइव कारवाई मानी जा रही है। उनसे अब तक करोड़ो के कन्फर्म ई-टिकट निकालने की जानकारी मिली है। आरोपी ‘नेक्सस’, ‘गदर’ जैसे अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से आईआरसीटीसी और थर्ड पार्टी गेटवे के बीच की कड़ी माने वाले वाले ‘फायर वॉल' को बड़े ही आसानी से बाइपास (हैक) कर देते थे और एकझटके में सीजन और तत्काल के कन्फर्म टिकट बुक कर लेते थे। साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि आईआरसीटीसी में कोई ऐसा भेदिया है जो दलालों को सिस्टम की कमजोरियां बता रहा है।विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार आरोपी राजेश मित्तल आईआरसीटीसी का अधिकृत लाइसेंसी एजेंट होने के साथ ही सूरत में ट्रैवल एजेंसी चलाता है।
36 घंटे ऑपरेशन, 30 दिन में 598 पीएनआर
36 घंटे के इस लाइव ऑपरेशन में आरोपी राजेश मित्तल को उसके फ्लैट से टिकट निकालते हुए पकड़ा गया। आरोपी एकता हॉलीडेज ट्रैवेल्स का संचालक है। राजेश के सहयोगी कृपा पटेल को अलथान से गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में आरोपी राजेश ने बताया कि वह कोरोना के बाद से ही इस व्यापर में शामिल था। आरोपी ने 24 मई से 24 जून के दौरान अवैध सॉफ्टवयेर से कुल 598 पीएनआर निकाले, जिनकी कीमत 14 लाख से ज्यादा थी। आरोपी कन्फर्म टिकट के कमीशन सेही रोज50 हजार रुपए कमाता था।
विजिलेंस इंस्पेक्टर संजय कुमार शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि, हमें सूचना मिली थी कि सूरत में राजेश मित्तल नाम का व्यक्ति अवैध सॉफ्टवेयर के जरिये रेलवे आरक्षण ई-टिकट बुकिंग कारोबार में लिप्त है। उसपते पर जब करवाई की गई तो बेडरूम में एक व्यक्ति एक साथ 6 लैपटॉप के साथ मिला, लैपटॉप से कुल 54 लाइव ई-टिकटों का रिकॉर्ड मिला, हमने सभी ई-टिकट को ब्लॉक करने के लिए कहा है।
चंद सेकंड में रेलवे टिकट प्रणाली बाइपास
आरोपी राजेश मित्तल आईआरसीटीसी की अलग-अलग 973आईडी के जरिएगदर और नेक्सस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करई-टिकट निकालता था। रेलवे सूत्रों ने बताया कि आरोपी सॉफ्टवेयर की मदद से आईआरसीटीसी की थर्ड पार्टी पेमेंट गेटवे के सिक्योरिटी प्रोटेक्शन फायरवॉल को बाइपास (हैक)कर लेता था। इससे आरोपी को ओटीपी जनरेट करने और पेमेंट करने में एक सेकंड से भी कम समय लगता था।
अवैध सिस्टम से निकाले करोड़ो के ई-टिकट
-लाइव टिकट बुक करते बरामद हुए 54 ई-टिकट जिनकी कीमत 1 लाख 51 हजार रुपए
-12 अकाउंट की मदद से गदर सॉफ्टवयेर का उपयोग कर 3,600 ई-टिकट बुकिंग की जिनकी कीमत 2 करोड़ 88 लाख
-ग्रुप बुकिंग में अबतक 4.50करोड़ रुपए के ई-टिकटनिकालने की जानकारी आई सामने