अदालत ने पूछा - नाशिक पुलिस से मनपा यूनियन के कार्यालय पर सीआरपीसी की धारा 145 के तहत किस आधार पर की कार्रवाई

  • अदालत का 26 जून को अगली सुनवाई पर पुलिस से जवाब देने का निर्देश
  • सीआरपीसी की धारा 145 के तहत किस आधार पर की कार्रवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-23 15:41 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने नाशिक महानगरपालिका के यूनियन म्युनिसिपल कर्मचारी कामगार सेना के कार्यालय पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 145 के तहत किस आधार पर कार्रवाई की। अदालत ने 26 जून को अगली सुनवाई पर नाशिक पुलिस को जवाब देने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को नाशिक मनपा के म्युनिसिपल कर्मचारी कामगार सेना की ओर से वकील यशोदीप देशमुख की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 145 में भूमि या पानी के विवाद के कारण शांति भंग होने की संभावना है, तो सहायक पुलिस आयुक्त (कार्यकारी मजिस्ट्रेट) के पास इस मामले में कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके तहत यूनियन के कार्यालय पर कार्रवाई और उसके अधिकारियों को नोटिस किस आधार पर की गई। पुलिस की ओर से पेश हुई सरकारी वकील खंडपीठ के जवालों का जवाब नहीं दे सकी। अदालत ने 26 जून की अगली सुनवाई पर पुलिस को कार्रवाई का कानूनी पहलू बताने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील वैदेही देशमुख ने कहा कि म्युनिसिपल कर्मचारी कामगार सेना रजिस्टर्ड यूनियन है। नाशिक सरकारवाडा विभाग के सहायक पुलिस आयुक्त (विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट) ने सीआरपीसी की धारा 145 के अंतर्गत यूनियन के कार्यालय को सील कर दिया और सभी पदाधिकारियों को दंडात्मक कार्रवाई का नोटिस भेजा। पुलिस यूनियन के कार्यालय पर सीआरपीसी की धारा 145 के अंतर्गत शांति भंग होने का हवाला देकर कार्रवाई नहीं कर सकती है। याचिका के मुताबिक शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की नाशिक मनपा में यूनियन है। यूनियन के चुने गए अध्यक्ष और सचिव ने पिछले साल 27 सितंबर को जनरल बाडी मीटिंग बुलाई थी। पुलिस ने कानून व्यवस्था विगड़ने का हवाला देकर यूनियन के कार्यालय को सील कर दिया था। पुलिस की कार्रवाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है। याचिका में नाशिक के पुलिस आयुक्त को भी पार्टी बनाया गया है।

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