मुंबई से बाहर तबादलों के बाद भी सरकारी घर नहीं छोड़ रहे अधिकारी
- बॉम्बे हाई कोर्ट में पूर्व एसीपी की दायर जनहित याचिका से खुलासा
- दो आईपीएस अधिकारियों पर घर का लाखों का दंड बकाया
डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह. बॉम्बे हाई कोर्ट में पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) राजेंद्र त्रिवेदी की दायर जनहित याचिका से खुलासा हुआ है कि मुंबई से बाहर तबादलों के बाद भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने मुंबई के सरकारी घरों को नहीं छोड़ रहे हैं। दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर तो तबादले के बाद मुंबई के घर नहीं छोड़ने पर लाखों रुपए दंड लगा है। राज्य के गृह विभाग में उनकी बकाए की रकम की फाइले पड़ी हुई हैं।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र त्रिवेदी की ओर से वरिष्ठ वकील एस.बी.तलेकर और वकील माधवी अयप्पन ने दायर जनहित याचिका दायर किया है। याचिकाकर्ता त्रिवेदी ने सूचना के अधिकारी (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने पदों का दुरुपयोग कर रहे हैं। कई पुलिस अधिकारियों का मुंबई से बाहर तबादला हो गया है, लेकिन वे मुंबई में आवंटित सरकारी घर को नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि मुंबई में कार्यरत पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को शहर से बाहर या मुंबई पुलिस आयुक्तालय से बाहर तबादला किया जाता है, तो उन्हें तीन महीने के अंदर मुंबई में आवंटित घरों को छोड़ देना चाहिए। यदि वे नहीं छोड़ते हैं, तो 9 महीनें तक उनसे शुल्क लिया जाता है। उसके बाद नियम के मुताबिक उन्हें सरकारी घर (क्वाटर्स) को हर हाल में छोड़ देना चाहिए। जबकि 22 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय (स्थापना) से बाहर तबादले के बाद भी 20 अक्टूबर 2022 तक अपने सरकारी घर (क्वार्टर) को नहीं छोड़ा था। ऐसे अधिकारियों में रविंद्र शिसवे, मिलींद भारंबे, ब्रिजेश सिंह, आकाश घनश्याम पवार, रश्मी करंदीकर, मनोज नवल पाटील, संजय भिमराव पाटील, अश्विनी संतोष सानप, सुनीता प्रशांत शालुंखे ठाकरे, अंबिका नरसम्माराव, शशिकुमार मिना, सुभाषचंद्र शिवाजीराव बुरसे और सौरभ निलकंठ त्रिपाठी के नाम प्रमुख हैं। याचिका में इन पुलिस अधिकारियों से दंडात्मक शुल्क वसूलने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता त्रिवेदी ने याचिका का दावा है कि दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के.वेंकटेशन का नागपुर और रविंद्र शिसवे का पुणे तबादला हो गया था। उन्होंने अपना मुंबई स्थित सरकारी आवास को खाली नहीं किया था। वेंकटेशन पर 1 करोड़ 18 लाख 6 हजार 677 रुपए और शिसवे पर 80 लाख 36 हजार 970 रुपए दंडात्मक रकम बकाया है। उनकी बकाया रकम की फाइले राज्य के गृह विभाग में पड़ी हुई है। इसी याचिका में सुरक्षा रक्षक के नाम पर आईपीएस अधिकारियों के घरों पर तैनात दो पुलिसकर्मियों से घर काम कराने की बात कही गयी है। याचिका में अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन पर पद का दुरुपयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों से बकाया वसूलने और कार्रवाई की मांग की गयी है।