अदालत: मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए अदालत ने सुधाकर द्विवेदी के खिलाफ जमानती वारंट किया जारी

  • द्विवेदी बयान दर्ज करने के लिए नहीं हुए पेश
  • मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए कोर्ट की कार्रवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-15 15:37 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी सुधाकर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडे शुक्रवार को विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत में पेश नहीं हो सके। अदालत ने द्विवेदी खिलाफ 10 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है। अदालत ने कहा कि अगर वह अगली सुनवाई में पेश नहीं हुए, तो गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा। इस मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कोर्ट जमानती वारंट जारी किया गया था। विशेष न्यायाधीश ए.के.लाहोटी के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई के दौरान आरोपी सुधाकर द्विवेदी पेश नहीं हुए। अदालत ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए द्विवेदी के खिलाफ 10 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई में पेश नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा। विशेष अदालत ने सोमवार को सभी आरोपियों को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन द्विवेदी अदालत में पेश नहीं हुए। इसके बाद अदालत ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया। अदालत ने इस मामले में एनआईए को 20 मार्च तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. इस मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी और सुधाकर द्विवेदी समेत 7 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। अदालत में सीआरपीसी की धारा 313 के तहत ठाकुर समेत सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, भारतीय शस्त्र अधिनियम और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत दर्ज मामला दर्ज है। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव विस्फोट में हुए 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।

झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना के तहत हाउसिंग सोसाइटी के पसंद के बिल्डर के चयन को हाई कोर्ट ने रखा बरकरार

-अदालत ने एजीआरसी के निर्णय को किया रद्द

बॉम्बे हाई कोर्ट ने झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना के लिए अंधेरी के एक हाउसिंग सोसायटी के पसंद के बिल्डर के चयन को बरकरार रखा है। अदालत ने एसआरए सीईओ के फैसले को पलटने वाले एजीआरसी के निर्णय को भी रद्द कर दिया। अदालत के आदेश पर चुनाव के बाद सोसाइटी ने बहुमत से नए बिल्डर का चयन किया है। इससे पहले 2008 में सोसाइटी ने बिल्डर का चयन किया था। न्यायमूर्ति संदीप वी.मर्ने की एकलपीठ के समक्ष अंधेरी के न्यू जागृति को- ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की ओर से वकील अमोघ सिंह की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया था कि सोसाइटी ने 2008 में बिल्डर का चयन किया था। एसआरए ने 2009 में बिल्डर के चयन को मंजूरी दी थी। उस बिल्डर ने काफी समय तक सोसायटी के डेवलपमेंट के लिए कुछ भी नहीं किया। बिल्डर की निष्क्रियता की शिकायत मिलने पर एसआरए के सीईओ ने 2 जून 2022 को पहले बिल्डर के चयन को रद्द कर दिया। इसके बाद सोसाइटी ने नए बिल्डर का चयन किया। इसके बाद पहले के बिल्डर ने एसआरए सीईओ के आदेश के खिलाफ अपेक्स ग्रिवीइंस रिड्रेसल कमिटी (एजीआरसी) के पास अपील की। एजीआरसी ने सीईओ के आदेश को रद्द कर दिया। एजीआरसी आदेश के खिलाफ सोसाइटी और नए बिल्डर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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