आलंदी वारकरी-पुलिस विवाद का सामने आया नया वीडियो, पटोले ने कहा वीडियो डिलीट करने बनाया जा रहा दबाव
- आलंदी वारकरी-पुलिस विवाद में नया वीडियो
- पुलिसकर्मियों को रौंदते हुए मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश
- वीडियो हो रहे वायरल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वर माऊली की पालकी प्रस्थान के दौरान मंदिर में प्रवेश को लेकर हुए विवाद से राज्य की राजनीति गरमा गई है। पिंपरी चिंचवड पुलिस आयुक्त विनय कुमार चौबे ने पुलिस लाठीचार्ज की घटना से इंकार किया है। इस बीच सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में विवाद का एक नया वीडियो सामने आया है जिसमें पुलिसकर्मियों को रौंदते, कुचलते हुए वारकरियों की मंदिर में जबरन प्रवेश की कोशिश साफ साफ देखी जा सकती है।
उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी लाठीचार्ज के आरोप से इनकार करते हुए अपील की है कि जो घटना घटी ही नहीं उसके बारे में गलतफहमी पैदा कर माहौल न बिगाड़ें। बहरहाल विवाद के जो भी वीडियो सामने आए उनमें पुलिस आक्रोशित वारकरियों को रोकने के लिए बल का प्रयोग करते तो नजर आ रही है, हालांकि कहीं भी लाठीचार्ज जैसी कोई घटना दिखाई नहीं दे रही है। इसके बाद सोमवार को इस घटना का एक और वीडियो सामने आया, जिसमें मंदिर में प्रवेश न मिलने से आक्रोशित वारकरी पुलिसकर्मियों को धकेलते हुए, उन्हें रौंदते कुचलते जबरन प्रवेश करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। इस बीच विशाल रावसाहेब पाटिल नामक एक युवा वारकरी ने एक अलग वीडियो के जरिये पुलिस पर संगीन आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि पुलिस से छीनाझपटी के दौरान पुलिस ने उन्हें एकांत में एक कमरे में ले जाकर उनकी जबरदस्त पिटाई की है। आज दिन भर ये तीनों वीडियो तेजी से वायरल होते रहे हैं।
जबरन प्रवेश की कोशिश से हुआ विवादः पुलिस आयुक्त
पिंपरी चिंचवड़ के पुलिस आयुक्त श्री चौबे ने बताया कि, पिछले साल पालकी सम्मेलन के दौरान भगदड़ मचने से श्रद्धालुओं व महिलाओं के घायल होने की घटना घटी थी। इसके चलते पिछले साल जैसी स्थिति टालने के लिए सम्मान की हर दिंडी के 75 लोगों को मंदिर में प्रवेश देने का निर्णय लिया गया। प्रधान जिला न्यायाधीश, धर्मादाय आयुक्त, मंदिर प्रमुख विश्वस्त के साथ हुई तीन बैठकों में भी यही निर्णय लिया गया था। इसके अनुसार प्रवेश दिया जा रहा था। कुछ स्थानीय युवक जबरन प्रवेश की कोशिश कर रहे थे, जिसके चलते विवाद हुआ। पुलिस और मंदिर के ट्रस्टियों द्वारा समझाने के बाद भी वे नहीं माने और बैरिकेड तोड़कर प्रवेश करने की कोशिश करने लगे। तब पुलिस के साथ उनकी धक्कामुक्की हुई। हालांकि लाठीचार्ज का पूरी तरह गलत है। इस बीच विपक्ष लाठीचार्ज की बात कहते हुए आक्रामक हो गया है।
पटोले ने कहा वीडियो डिलीट करने बनाया जा रहा दबाव
इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि जाहिर है कि पालकी प्रस्थान समारोह के दौरान पुलिस ने वारकरियों पर लाठीचार्ज किया। वारकरी खुद पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों के बारे में बता रहे हैं, लेकिन राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह दिखाई नहीं दे रहा पटोले ने हमला कहा कि मीडिया पर अब सरकार द्वारा लाठीचार्ज का वीडियो हटाने का दबाव डाला जा रहा है और दूसरी तरफ फडणवीस बेशर्मी से कह रहे हैं कि लाठीचार्ज नहीं हुआ था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सैकड़ों वर्षों से चली आ रही वारकरी परंपरा का हर साल शांतिपूर्ण तरीके से निर्वाह किया जा रहा है।लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बिना वजह लाठीचार्ज किया।
पुलिस स्टेशन में पारधी समाज के 150 लोग
संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालकी प्रस्थान के दौरान लाठीचार्ज की घटना के साथ एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। स्थानीय आलंदी पुलिस ने पारधी समुदाय के करीबन 150 लोगों को पुलिस थाने में सुबह से बैठा रखा है। एड असिम सरोदे ने इसकी फ़ोटो के साथ फेसबुक पर जानकारी पोस्ट की है। उनका कहना है कि आखिर महिलाओं और बच्चियों के साथ पारधी समाज के इतने सारे लोगों को किस कानून के तहत हिरासत में लेकर छोटे से कमरे में कैद किया गया है। छोटे से कमरे में करीबन 150 लोगों को कैद किया गया, उन्हें पानी तक नहीं दिया गया। बहरहाल पुलिस ने कहा कि पालकी प्रस्थान के दौरान चोरी- झपटमारी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए संदिग्ध, हिस्ट्रीशीटर व बदमाशों को हिरासत में लिया था बाद में उन्हें समझाइश देकर छोड़ दिया गया।