New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने नियोक्ता की हत्या करने वाले चौंकीदार की मौत की सजा को कम किया

  • चौंकीदार ने नियोक्ता की हत्या की थी
  • हत्या करने वाले चौंकीदार की मौत की सजा हुई कम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-26 14:21 GMT

New Delhi News : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एक आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी और आजीवन कारावास की सजा देने वाले ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्ष को विकृत या असंभव नहीं पाया जाता, तब तक हाईकोर्ट को उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। आरोपी द्वारा निभाई गई भूमिका अन्य सभी आरोपियों के समान है। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा देना उचित नहीं था, जब ट्रायल कोर्ट ने माना था कि मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है।

दरअसल, मामला यह है कि एक व्यवसायी के बंगले पर दिन की पाली में काम करने वाले चौकीदार शिवकुमार साकेत ने 2 दिसंबर 2007 की रात अपने दोस्तों के साथ मिलकर डकैती करने के बाद अपने नियोक्ता रमेश मुणोत और उसकी पत्नी को मारने की सुनियोजित योजना को अंजाम दिया था। उस समय रात की पाली के चौकीदार को बंधक बनाकर छह में से पांच लोग बंगले में घुस गए और दंपति की हत्या कर दी। मामले में ट्रायल कोर्ट ने साकेत समेत सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अप्रैल 2022 में हाईकोर्ट ने चौकीदार साकेत को यह कहते हुए मौत की सजा सुनाई कि उसने अपने नियोक्ता का विश्वासघात किया था और वह सहानुभूति का हकदार नहीं है और अन्य आरोपियों की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी। साकेत ने 2022 में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उस साल नवंबर में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने चौकीदार की फांसी पर रोक लगा दी थी। आज शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया साकेत की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

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