राकांपा विधायक अयोग्यता मामला: नार्वेकर का बड़ा फैसला - शरद पवार को झटका, अजित गुट के सभी विधायक योग्य करार

  • विधानसभा अध्यक्ष ने सुनाया फैसला
  • पार्टी के संविधान, नेतृत्व और विधानमंडल में पार्टी की ताकत को देखकर फैसला लिया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-15 16:21 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राकांपा विधायकों की अयोग्यता के मामले में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने गुरुवार को शरद पवार को झटका देते हुए अजित पवार गुट के सभी विधायकों को योग्य करार दे दिया। इसके साथ ही नार्वेकर ने दोनों गुटों की याचिका को खारिज करते हुए दोनों गुटों के सभी विधायकों को पात्र ठहराया है। हालांकि नार्वेकर ने अजित पवार गुट को ही असली राकांपा माना है। गुरुवार को फैसला सुनाते हुए नार्वेकर ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मामले में फैसला करते समय पार्टी के संविधान, पार्टी के नेतृत्व और विधानमंडल में पार्टी की ताकत को देखकर फैसला लिया है। इन तीनों मामलों में बहुमत अजित गुट के पास है। विस अध्यक्ष ने फैसला सुनाते वक्त विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी में कोई टूट नहीं हुई, बल्कि एक गुट बना था। शरद गुट ने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर के फैसले को हास्यास्पद बताया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। शरद गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि नार्वेकर ने यह फैसला शिवसेना की तर्ज पर ही सुनाया है।

नार्वेकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राकांपा किसकी पार्टी है, इसका फैसला करते वक्त हमने विधानमंडल में बहुमत का भी ध्यान रखा है। विधानसभा में अजित गुट के पास 53 में से 41 विधायक हैं, जबकि 12 विधायक शरद पवार के साथ हैं। नार्वेकर ने फैसले में यह भी कहा कि शरद गुट ने अजित गुट के इस बहुमत को चुनौती नहीं दी थी। इसलिए असली राकांपा अजित पवार की है। संविधान की दसवीं सूची का इस्तेमाल पार्टी में लोकतंत्र को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शरद गुट ने यह माना है कि उनकी पार्टी में कोई फूट नहीं है, बल्कि एक गुट पार्टी से अलग हो गया। इसलिए पार्टी में मतभेद को कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।

शरद पवार की इच्छा के खिलाफ जाने का अर्थ पार्टी छोड़ना नहीं

फैसले में नार्वेकर ने यह भी कहा कि शरद पवार की इच्छा के खिलाफ जाने का मतलब पार्टी छोड़ना नहीं है। किसी भी विधायक ने पार्टी नहीं छोड़ी। यह पार्टी के भीतर दो गुटों के बीच विवाद का मामला है। इसलिए दसवीं अनुसूची के अनुसार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। नार्वेकर ने फैसले के आखिर में कहा कि 30 जून को यह साफ हो गया था कि राकांपा में विभाजन हो गया है और शरद गुट ने अजित पवार को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करने की प्रस्ताव को चुनौती दी। लेकिन अजित पवार के चयन में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ। इसलिए पार्टी का अध्यक्ष कौन है, मैं यह तय नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के संविधान के मुताबिक होता है, यह पार्टी की संरचना और संख्या बल के आधार पर तय होता है।

जितेंद्र आव्हाड, नेता, राकांपा (शरद) के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष का फैसला हास्यास्पद है। एक तरफ चुनाव आयोग कहता है कि साल 2019 में राकांपा में विवाद शुरू हो गया था, वहीं विधानसभा अध्यक्ष कहते हैं कि 29 जून 2023 तक राकांपा में कोई विवाद नहीं था। हमें पहले से पता था कि यही फैसला आएगा। अजित पवार 3 जुलाई 2023 को मीडिया में कह चुके हैं कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ही हैं। इसके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष धृतराष्ट्र की भूमिका में हैं। हम बहुत जल्द इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

अनिल पाटील, नेता, राकांपा (अजित) के मुताबिक आव्हाड को किसी पर भी भरोसा नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष पर टिप्पणी करने से उनकी मानसिकता झलक रही है। मैं साल 2019 से व्हिप जारी करता आया हूं। हमने भी शरद गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका दाखिल की थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया है। पूरा फैसला पढ़ने के बाद राकांपा अध्यक्ष अजित पवार फैसला करेंगे कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी या नहीं।

एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के मुताबिक लोकतंत्र का हमारे देश में काफी महत्व है। विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला सुनाया है वह बहुमत और मेरिट के आधार पर सुनाया है। क्योंकि बहुमत आज अजित पवार के पक्ष में है, इसलिए मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूं।

संजय राऊत, सांसद, शिवसेना (उद्धव) के मुताबिक इस तरह की फैसले की हमें पहले से ही जानकारी थी। देश में लोकतंत्र को कुचला जा रहा है। जैसा शिवसेना के मामले में हुआ था, वैसा ही फैसला आज राकांपा के मामले में हुआ है। पूरी दुनिया को पता है कि राकांपा शरद पवार की है।

अतुल लोंढे, मुख्य प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा शिवसेना के मामले में फैसला सुनाए जाने के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि राकांपा के मामले में भी फैसला अजित गुट के पक्ष में ही आएगा। कहानी पुरानी है, बस किरदार नए जुड़ गए है।


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