New Delhi News: हरियाणा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र में प्रभावित होगी कांग्रेस की सौदेबाजी क्षमता

  • संविधान बचाने का मुद्दा हुआ कमजोर!
  • निराश कार्यकर्ताओं को मिली ऊर्जा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-08 14:52 GMT

New Delhi News : अजीत कुमार। हरियाणा चुनाव के नतीजों ने एक तरफ जहां कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया है तो वहीं भाजपा को महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में होने वाले चुनावों के लिए नई ऊर्जा दे दी है। हरियाणा में मिली रिकॉर्ड तीसरी जीत से भाजपा के हौंसले बुलंद हैं। इस जीत के बाद महाराष्ट्र में निराश दिख रहे भाजपा के कार्यकर्ता अब पूरी ताकत से बाहर निकलेंगे तो वहीं महाविकास आघाड़ी में ‘बड़े भाई’ की भूमिका अदा करने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की सीट सौदेबाजी की क्षमता कम होगी।

हरियाणा चुनाव के नतीजों से भाजपा के हौंसले इसलिए भी बुलंद हुए हैं, क्योंकि यहां ओबीसी वोटबैंक में बिखराव को रोकने में वह कामयाब रही है। महाराष्ट्र में भी उसे ओबीसी वोटबैंक के बिखरने का डर था, जो अब लगभग दूर हो गया है। न केवल ओबीसी वोटबैंक, बल्कि हरियाणा की सुरक्षित सीटों पर भी भाजपा को बेहतर कामयाबी मिली है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 5 सुरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि इस बार 8 सुरक्षित सीटों पर उसे सफलता मिलती दिख रही है।

निराश कार्यकर्ताओं को मिली ऊर्जा

इस जीत ने भाजपा के कार्यकर्त्ताओं में उत्साह का नया संचार किया है। लोकसभा चुनाव में 240 सीटों पर आ चुकी भाजपा के कार्यकर्त्ताओं में निराशा की भावना थी, जो इस नतीजे के बाद दूर होगी। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र में लगभग घर बैठ चुके कार्यकर्ता अब पूरी ताकत से फील्ड में उतरेंगे।

संविधान बचाने का मुद्दा हुआ कमजोर!

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संविधान और आरक्षण बचाने का मुद्दा जबर्दस्त ढंग से उठाया था, जिसका खामियाजा भाजपा को 240 सीट तक आकर भुगतना पड़ा था। लेकिन हरियाणा के नतीजों ने भाजपा के खिलाफ बनी इस धारणा को कमजोर किया है। बल्कि उल्टा यहां भाजपा ने ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर आरक्षण खत्म करने का आरोप चस्पा कर दिया है।

संघ का मिला साथ सोने पे सुहागा

लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहने का आरोप लग रहा था। लेकिन हरियाणा चुनाव में संघ के कार्यकर्त्ता जिस मुस्तैदी से जुटे रहे, उसका सकारात्मक असर चुनाव नतीजाें मंे दिखा। ऐसे में भाजपा इस बात से उत्साहित है कि महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के चुनावों में भी संघ की सक्रियता का असर दिखेगा।

अपनी रणनीत पर विचार करे कांग्रेस – शिवसेना (उद्धव)

लोकसभा चुनाव में 99 सीटें मिलने के बाद यह माना जा रहा था कि कांग्रेस चुनाव-दर-चुनाव अब मजबूत होगी। लेकिन हरियाणा के चुनाव नतीजों ने उसकी इस उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया है। लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी के आधार पर कांग्रेस महाराष्ट्र में बिग ब्रदर बनने की कोशिश में है और शिवसेना (उद्धव) से ज्यादा सीटें लेने का दबाव बना रखा है। राजनीतिक विश्लेषक संजय राय कहते हैं कि हरियाणा के नतीजों के बाद अब कांग्रेस की महाराष्ट्र में सीट बंटवारे में सौदेबाजी की क्षमता कम होगी और अपने सहयोगी दलों को वह दबाने की स्थिति में नहीं होगी। बल्कि उल्टा अब सहयोगी दल ही कांग्रेस को दबाव में लाने की कोशिश करेंगे। शिवसेना (उद्धव) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस को अपनी रणनीति पर विचार करने की जरूरत है, क्योंकि जहां भी भाजपा से सीधी लड़ाई होती है, वहां कांग्रेस कमजोर हो जाती है।

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