ट्रेन बम विस्फोट मामला: मुजम्मिल शेख को मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मिली 3 दिन का पैरोल
- अदालत ने कहा- फाइव स्टार होटल से भी अधिक प्रति दिन पुलिस एस्कॉर्ट का 81 हजार 300 शुल्क
- बिना पुलिस एस्कॉर्ट का शुल्क दिए मिली पैरोल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट से मंगलवार को 2006 के लोकल ट्रेन बम विस्फोट मामले में दोषी मुजम्मिल शेख को मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए तीन दिन का पैरोल मिली है। अदालत ने बिना पुलिस एस्कॉर्ट के शुल्क के पैरोल देते हुए कहा कि फाइव स्टार होटल से भी अधिक प्रति दिन पुलिस एस्कॉर्ट का 81 हजार 300 रुपए का शुल्क है, जिसे याचिकाकर्ता को दे पाना मुश्किल है।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजुशा अजय देशपांडे की खंडपीठ के समक्ष दोषी मुजम्मिल शेख की पैरोल के लिए वकील इब्राहिम की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की वरिष्ठ वकील आइशा अंसारी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की मां का 17 अप्रैल को देहांत हो गया। उसे 40वें दिन की रस्म में शामिल होना है, जिसके लिए उन्हें 15 जून को अपने घर और कब्रिस्तान में रहना होगा। इसलिए याचिकाकर्ता को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बिना पुलिस एस्कॉर्ट शुल्क का भुगतान किए 7 दिनों की पैरोल पर जाने की अनुमति दी जाए।
याचिकाकर्ता प्रति दिन 81 हजार 300 रुपए पुलिस एस्कॉर्ट शुल्क नहीं दे सकता है। वह काफी समय से जेल में बंद है। सरकारी वकील ने बिना पुलिस एस्कॉर्ट शुल्क के पैरेल देने का विरोध किया। इस पर खंडपीठ ने कहा कि फाइव स्टार होटल से भी अधिक प्रति दिन के पुलिस एस्कॉर्ट का 81 हजार 300 रुपए शुल्क है। याचिकाकर्ता 7 दिनों के पैरोल के लिए प्रतिदिन के हिसाब से पुलिस एस्कॉर्ट का शुल्क क्या दे सकेगा? खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध पर 13 से 15 जून तक 3 दिनों के लिए बिना पुलिस एस्कॉर्ट शुल्क के पैरोल पर जाने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता मीरा रोड के नया नगर इलाके का निवासी है और इस समय वह नासिक रोड सेंट्रल जेल में बंद है।
11 जुलाई 2006 को शहर की लोकल ट्रेनों में अलग-अलग स्थानों पर सात विस्फोट हुए थे, जिसमें 189 यात्रियों की मौत हुई थी और 824 यात्री घायल हुए थे। 8 साल तक चले मुकदमे के बाद 13 आरोपियों में से 12 को दोषी ठहराया गया था। 12 में से पांच को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत विशेष अदालत ने 2015 में मौत की सजा सुनाई थी। शेष आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है