दाभोलकर हत्या का मामला : मुक्ता दाभोलकर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- आपस में जुड़ी हैं दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याएं

  • मुक्ता दाभोलकर का सुप्रीम कोर्ट में बयान
  • दाभोलकर हत्या का मामला
  • दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याएं आपस में जुड़ी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-18 16:10 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लडने वाले डॉ नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या से संबंधित मामले की कोर्ट के निगरानी में जांच जारी रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के इंकार के खिलाफ मुक्ता दाभोलकर द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान सीबीआई से पूछा कि क्या दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में कोई समानता थी। जबकि याचिकाकर्ता ने इन चारों की हत्याओं को आपस में जुड़ी बताया।

जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मामले की स्थिति बताते हुए कहा कि कई गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है। भाटी की दलील को सुनने के बाद जस्टिस धूलिया ने उनसे पूछा, दाभोलकर हत्या मामले में जो आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं, आपके अनुसार चारों की हत्याओं में कोई मान्य सूत्र नहीं है? जस्टिस कौल ने कहा कि हम यही जानना चाहते है। जबकि मुक्ता दाभोलकर की ओर से पेश वकील आनंद ग्रोवर ने पीठ से कहा कि चारों की हत्याओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी। उन्होंने कहा कि उपलब्ध सबूतों से संकेत मिलते है कि चारों की हत्याएं आपस में जुड़ी हो सकती है। हाईकोर्ट के समक्ष भी इन मुद्दों को उठाया गया था।

जस्टिस धूलिया ने ग्रोवर से कहा कि चूंकि मुकदमा चल रहा है और कई गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है। इसलिए हाईकोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट ने जांच की निगरानी से इंकार कर दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट की इस तरह की टिप्पणी में गलत क्या है? ग्रोवर ने जवाब में कहा कि मुकदमा चल रहा है, लेकिन हत्यारें आज भी गिरफ्त से बाहर है। पीठ ने सीबीआई से कहा कि याचिकाकर्ता ने इसमें बड़ी साजिश होने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता द्वारा मामले से संबंधित कुछ अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय देने की मांग की ताकि एएसजी को इन हत्याओं में शामिल बड़ी साजिश के मुद्दे की जांच करने में मदद मिलेगी। पीठ ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले को आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।

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