मुंबई: मूविंग पिक्चर डिजिटल होर्डिंग की रोशनी जांचेगी मनपा, अब लाइट की भी होगी जांच
- हाइट को लेकर थी दिक्कत
- लाइट की भी होगी जांच
- नियमावली बनाने पर जोर
डिजिटल डेस्क, मुंबई. घाटकोपर होर्डिंग हादसे के बाद से ही मुंबई मनपा होर्डिंग के संदर्भ में सख्त कदम उठा रही है। रेल्वे परिसरों में नियम से ज्यादा हाइट (ऊंची) की होर्डिंग पर मनपा प्रशासन ने आपत्ति जताई थी। अब शहर और उपनगरीय इलाकों में लगी मूविंग पिक्चर डिजिटल होर्डिंग की रोशनी को लेकरप्रशासन ने रोशनी जांचने का निर्णय लिया है।तेजी से बढ़ रहे है इस मूविंग पिक्चर डिजिटल होर्डिंग का जाल ईस्टर्न-वेस्टर्न एक्सप्रेस हाई-वे सहित अन्य रिहायशी इलाकों में देखा जा सकता है। इन होर्डिंग पर प्रकाशित होनेवाले विज्ञापनों की प्रखर रोशनी का सीधा असर वहां से गुजरनेवाले वाहन चालकों की आंखों पर पड़ रहा है। मनपा प्रशासन इन होर्डिंग की रोशनी जांचने के लिए स्पेक्ट्रो रेडियो मीटर और फोटो मीटर खरीदेगी।
नियमावली बनाने पर जोर
डिजिटल होर्डिंग्स के संबंध में नीति तैयार करने के लिए स्थापित समिति की बैठक मंगलवार को मनपा मुख्यालय में अतिरिक्त मनपा आयुक्त अश्विनी जोशी की अध्यक्षता में हुई थी। इस बैठक में होर्डिंग्स की रोशनी कितनी होनी चाहिए, इसकी जांच कैसी हो और इसकी रेंज क्या होनी चाहिए, इसके लिए नियमावली बनाने पर भी जोर दिया गया।
प्रकाश प्रदूषण पर कोई नियम नहीं
प्रकाश प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए फिलहाल कोई नियम नहीं है। इसे बनाने कीमांग बीते छह साल से प्रकाश प्रदूषण पर काम करनेवाले कार्यकर्ता कर रहे हैं। पर्यावरण समूह आवाज फाउंडेशन ने मुंबई में एक अध्ययन भी किया था। इस अध्ययन में वर्ली में कोस्टल रोड निर्माण स्थल पर प्रकाश का स्तर 273 लक्स (लक्स प्रकाश की मूल इकाई है), हाजी अली बिलबोर्ड पर 223 लक्स और चर्चगेट में एक मेट्रो रेल साइट पर 139 लक्स पाया था। सुमैरा ने बताया कि यह रिपोर्ट दिसंबर 2017 में राज्य पर्यावरण विभाग और मनपा को सौंपी गई थी। लेकिन अभी तक इस पर गौर नहीं किया गया।
20 लक्स पढ़ने के लिए बेहतर
मुंबई के डॉक्टर 20 लक्स को पढ़ने के लिए अच्छा और 50-60 से अधिक स्तर को हानिकारक बताते हैं। अग्रवाल आई हॉस्पिटल की डॉ. नीता शाह ने बताया कि एलईडी लाइट से आखों की रोशनी कम हो जाती है।
रात 11 बजे के बाद डिजिटल होर्डिंग बंद करने का आदेश
मनपा प्रशासन ने पहले ही डिजिटल होर्डिंग को रात 11 बजे के बाद बंद करने का आदेश दिया है। लेकिन हकीकत इससे परे है। प्रकाश प्रदूषण पर काम करनेवाले एक्टिविस्ट नीलेश बताते हैं कि प्रकाश प्रदूषण को लेकर कोई नियम या गाइडलाइंस न होने से खुद सरकारी विभाग भी प्रकाश प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है।