खुलासा: मच्छरों से बचने के लिए मुंबईकर हर महीने करते हैं 75 करोड़ रुपए खर्च
- मुंबई में 25 लाख परिवार रहते हैं
- हर महीने करते हैं 75 करोड़ रुपए खर्च
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान. मच्छर जनित बीमारियों से अपने परिवार को बचाने के लिए हर महीने सिर्फ मुंबई में ही 75 करोड़ रूपए खर्च लोग कर रहे है। अगर इसके आकलन पूरे प्रदेश के लिए किया जाए तो खर्च की रकम 100 करोड़ रुपए से ज्यादा हो जाएगी। इन खर्चों का आकलन एक सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। इस सर्वे में यह पाया गया है कि यह करोडों रुपए मच्छर रोधी कोयल, मच्छरदानी, कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव,मच्छर रोधी क्रीम आदि पर खर्च किया जाता है।
मुंबई सहित प्रदेश में मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप बना हुआ है। इसी को देखते हुए मच्छरों के खतरे को लेकर लोकल सर्किल नामक निजी संस्थान ने एक सर्वे किया है। लोकल सर्किल के संस्थापक सचिन तापड़िया ने बताया कि यह सर्वे मुंबई, ठाणे, पालघर, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद आदि शहरों के लोगों पर सर्वे किया गया था। इस सर्वे में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। इस सर्वे में प्रतिभागियों से पांच सवाल पूछे गए थे जिसमें स्थानीय नगर निगम द्वारा मच्छरों की रोकथाम को लेकर किए जानेवाले उपाय योजना, मच्छरों की रोकथाम के लिए आम लोगो द्वारा किए जानेवाले खर्च, मच्छर जनित बीमारी से परिवार के सदस्यों के बीमार पड़ने आदि सवालों का समावेश था। उन्होंने बताया कि इस सर्वे में शामिल एक प्रतिभागी अपने परिवार को मच्छर के खतरों से बचाने के लिए अमूमन अगर 300 रुपए भी खर्च कर रहे है तो 25 लाख परिवार के लिए मुंबई में मच्छर से बचने का खर्च अगर 75 करोड़ जाता है तो प्रदेश में खर्च की रकम 100 करोड़ से अधिक जा सकती है।
37 फीसदी लोग हर महीने करते है 200 रुपये खर्च
इस सर्वे में शामिल 37 फीसदी प्रतिभागियों ने बताया कि अपने परिवार को मच्छरों से बचाने के लिए वे हर महीने 200 रुपए खर्च करते है। जबकि 27 फीसदी ने बताया कि वे 200 से 500 रुपए, 9 फीसदी ने 500 से एक हजार रुपए, तीन फीसदी ने दो से पांच हजार रुपए और दो फीसदी ने पांच हजार2 रुपए खर्च करने की बात कही है।
21 फीसदी ने बताया कि कई बार बीमार पड़ चुके है
इस सर्वे में 21 फीसदी लोगों ने बताया कि उनके परिवार के कई सदस्य बीते तीन वर्षों में कई बार मच्छर जनित बीमारी से बीमार पड़ चुके है। जबकि 10 फीसदी लोगों ने बताया कि उनके परिवार का एक सदस्य इन तीन सालों में मच्छर जनित बीमारी का शिकार हो चुके है। इसके साथ ही 54 फीसदी लोगों ने बताया कि बीते 45 दिनों में उनके नगर निगम और पंचायत ने एक बार मच्छर की रोकथाम के लिए दवाई का छिड़काव नहीं किया है। जबकि 21 फिसदी ने बताया कि उनकी नगर निगम और पंचायत ने कभी भी मच्छरों को रोकने के लिए कोई भी उपाय योजना नहीं की है।