एमएससीबी घोटाला: मुंबई पुलिस ने ईडी की हस्तक्षेप याचिका का विरोध किया, दूसरी बार मामला बंद करने की अर्जी
- उपमुख्यमंत्री अजित पवार हैं मामले में आरोपी
- ईओडब्लू ने दूसरी बार मामले को बंद करने की दी है अर्जी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुलिस ने बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस अर्जी का विरोध किया जिसमें पुलिस की महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) में हुए कथित 25 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की जांच बंद करने के लिए दाखिल रिपोर्ट के मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में मूल प्राथमिकी दर्ज की थी और मौजूदा उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बतौर आरोपी नामजद किया था। लेकिन बाद में ईओडब्ल्यू ने कहा कि शीर्ष सहकारी बैंक को कथित घोटाले से कोई नुकसान नहीं हुआ है। ईओडब्ल्यू ने बृहस्पतिवार को दाखिल लिखित जवाब में कहा कि ईडी की ओर से इसी तरह की हस्तक्षेप अर्जी पूर्व में सांसदों और विधायकों के मामले में दाखिल की गई थी, जिसे विशेष अदालत खारिज कर चुकी है। उसने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने उन्हीं बिंदुओं के आधार पर नए सिरे से अर्जी दाखिल की है।
ईओडब्लू ने दूसरी बार मामले को बंद करने की दी है अर्जी
कथित घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने सबसे पहले मामले को बंद करने की अर्जी सितंबर 2020 में दाखिल की थी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था। लेकिन जांच एजेंसी ने अक्टूबर 2022 में अदालत को सूचित किया कि वह शिकायतकर्ता और ईडी द्वारा दाखिल आपत्ति अर्जी में उठाए गए बिंदुओं पर आगे की जांच कर रही है। इस साल मार्च में ईओडब्ल्यू ने यह कहते हुए फिर से मामले को बंद करने का अनुरोध किया कि कथित धोखाधड़ी के कारण बैंक को कोई अनुचित नुकसान नहीं हुआ।
क्या है ईओडब्लू रिपोर्ट में
ईओडब्लू की मामले को बंद करने के लिए दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है कि सहकारी आयुक्त द्वारा अधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त एक पूर्व न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि ‘कारखानों (चीनी मिलों) को दिए गए ऋणों के कारण बैंक को कोई नुकसान नहीं हुआ, और बैंक कानूनी तरीकों से कारखानों से राशि वसूल रहा था।’इस मामले से जुड़े धनशोधन के आरोपों की जांच कर रही ईडी ने हाल ही में अदालत का रुख किया और पुलिस द्वारा मामले को बंद करने के लिए दाखिल रिपोर्ट में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि उसका मामला ईओडब्ल्यू की प्राथमिकी पर आधारित है और उसने जांच के बाद मुख्य अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) और दो पूरक आरोप पत्र दाखिल किए हैं। इसलिए मामला बंद करने के लिए दाखिल रिपोर्ट से उसकी अभियोजन शिकायत के साथ-साथ कार्यवाही प्रभावित होगी।