Mumbai News: राज्यपाल कोटे के विधायकों के नाम तय! मंजूरी के बाद हो सकती है अधिकृत घोषणा

  • किसलिए बरती गई इतनी गोपनीयता, मंत्री भी अंजान
  • चार साल से अटका है विधायकों का मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-14 16:26 GMT

Mumbai News : लंबे समय से रिक्त विधान परिषद की राज्यपाल कोटे की 12 सीटों में से सात पर नियुक्ति हो सकती है। सूत्रों के अनुसार भाजपा को तीन और शिवसेना (शिंदे) व राकांपा (अजित) के हिस्से दो-दो सीट आई है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री और दोनों ही उपमुख्यमंत्रियों ने राज्यपाल कोटे से विधायक बनाए जाने वाले नेताओं के नाम अपने-अपने मंत्रियों को बता दिए हैं। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया कि राज्य की शिंदे सरकार ने इन नामों को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मंजूरी के लिए भेजा है या नहीं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि राज्य में अगले कुछ ही दिनों में आचार संहिता लगने जा रही है, इसलिए राज्य सरकार फैसला कर चुकी है कि किसे राज्यपाल कोटे से विधान परिषद भेजा जाएगा।

चार साल से अटका है विधायकों का मामला?

दरअसल विधान परिषद में राज्यपाल के कोटे वाले 12 विधायकों के पद पिछले 4 साल से अधिक समय से खाली पड़े हैं। साल 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को आघाडी के 12 उम्मीदवारों की एक सूची भेजी थी, लेकिन उस पर कोश्यारी ने कोई फैसला नहीं लिया था। बाद में राज्य की मौजूदा सरकार ने उस सूची को भी वापस ले लिया था। वैसे राज्यपाल द्वारा नामित किए जाने वाले 12 नाम के प्रस्ताव को पहले कैबिनेट की मंजूरी दी जाती है। इस सूची को फिर राजभवन भेजा जाता है। इसके बाद राज्यपाल इस सूची को मंजूरी देते हैं। यह मामाला बांबे हाईकोर्ट भी पहुंचा था। संविधान के अनुसार राज्यपाल के पास साहित्य, कला, विज्ञान व समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को इस सीट पर नामित करने का अधिकार होता है।

किसलिए बरती गई इतनी गोपनीयता, मंत्री भी अंजान

महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। सोमवार को सह्याद्री अतिथि गृह में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए, जिन्हें आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बैठक से पहले एक चर्चा राजनीतिक गलियारों में बड़ी तेजी से फैली कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों उपमुख्यमंत्रियों देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने मंत्रिमंडल की बैठक का एजेंडा पर आखिरी समय तक सस्पेंस क्यों रखा। मंत्रिमंडल की बैठक का एजेंडा सभी मंत्रियों को बैठक से ठीक पहले दिया गया। जबकि आमतौर पर ऐसा होता है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से सभी मंत्रियों को एक दिन पहले ही मंत्रिमंडल बैठक का एजेंडा भेज दिया जाता है।

'दैनिक भास्कर' ने सोमवार सुबह जब बैठक में शामिल होने वाले एक मंत्री से बैठक के एजेंडे को लेकर बातचीत की तो मंत्री ने साफ किया कि सोमवार सुबह 9 बजे तक उन्हें मंत्रिमंडल की बैठक में क्या फैसले लिए जाएंगे, इस बात की जानकारी नहीं थी। इस मंत्री ने यह भी कहा कि आमतौर पर बैठक से एक दिन पहले ही हमें अगले दिन की बैठक का एजेंडा मिल जाता है,लेकिन पिछली दो बैठकों से मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एजेंडे को लेकर गोपनीयता बरती जा रही है।

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