Mumbai News: घर के पास मिलेगा ब्रेन स्ट्रोक पीड़ितों को उपचार, राज्य के चार मेडिकल कॉलेज को मिलेगी मोबाइल यूनिट

  • मुंबई, नागपुर, पुणे और चंद्रपुर के लोगों को होगी सहूलियत
  • गोल्डन ऑवर में इलाज से बचाई जा सकेगी मरीजों की जान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-04 16:13 GMT

Mumbai News : घर के पास स्ट्रोक पीड़ितों के उपचार के लिए महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अहम पहल की है। इसके तहत मुंबई, नागपुर, पुणे और चंद्रपुर के मेडिकल कॉलेज को मोबाइल स्ट्रोक यूनिट मुहैया कराई जाएगी। प्रत्येक यूनिट की लागत 15 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसके लिए राज्य सरकार ने 75 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इस बाबत शासनादेश शुक्रवार को जारी किया गया। यह मोबाइल यूनिट स्ट्रोक पीड़ितों के उपचार के लिए जरूरी सुविधाओं से लैस होगी। गोल्डन ऑवर में इलाज के जरिए यह मोबाइल यूनिट मरीज की जान बचाने की कोशिश करेगी। यह मोबाइल यूनिट एक आईसीयू की तरह है जो सीसीटीवी से लैस है। कंट्रोल से कॉल आते ही यह मोबाइल यूनिट पीड़ित के पास पहुंचेगी। विशेषज्ञ पीड़ित का मोबाइल यूनिट में ही सीटी स्कैन करेगा। यदि दिमाग में खून का थक्का पाया जाता है तो डॉक्टर क्लॉट-क्लस्टर के जरिए पीड़ित का इलाज कर उसकी जान बचाएंगे। ब्रेन स्ट्रोक दुनियाभर में होनेवाली मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है।

क्या होता है ब्रेन स्ट्रोक

ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग और इसके ऊतकों के बीच खून की नसें फट जाती हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि स्ट्रोक के साढ़े चार घंटे के भीतर गोल्डन ऑवर होता है। इस दौरान उचित इलाज मिले तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।

देश में हर साल 15 लाख मामले

भारत में हर साल 15 लाख से ज्यादा लोग ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। ऐसे मरीजों के फौरी उपचार के लिए मुंबई के जेजे, पुणे के बीजे और नागपुर व चंद्रपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज को सीटी स्कैन सुविधा से लैस मोबाइल स्ट्रोक यूनिट चिकित्सा शिक्षा विभाग उपलब्ध कराएगा।

मुंबई में ही रोजाना 100 मरीज

जेजे अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन ओझा ने बताया कि मुंबई में ही रोजाना 100 से अधिक लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं। इनमें से कुछ लोग ही समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच पाते हैं। ऐसे में यह मोबाइल स्ट्रोक यूनिट उन मरीजों के लिए मददगार साबित होगी, जिनका कुछ वजह से समय पर इलाज नहीं हो पाता है।

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