Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक के खिलाफ महिला से छेड़छाड़ के तहत दर्ज मामला किया रद्द
- व्यक्ति पर महिला के छाती पर हाथ मारने का आरोप
- अदालत ने महिला के साथ छेड़छाड़ होने की बात को मानने से किया इनकार
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला से छेड़छाड़) के तहत दर्ज मामले को रद्द कर दिया। अदालत ने माना कि पीड़िता के बयान के अलावा रिकॉर्ड पर कोई अन्य सबूत नहीं है। गवाहों के बयान भी पूरी तरह सुनी-सुनाई बातों पर आधारित हैं। आरोपी व्यक्ति द्वारा दिनदहाड़े अदालत परिसर में जनता और पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में महिला से छेड़छाड़ की कृत्य करना असंभव है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति डॉ.नीला गोखले की पीठ के समक्ष चेंबूर निवासी नवनाथ दिगंबर बाबर की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील बी.एस.नायक ने दलील दी कि याचिकाकर्ता द्वारा पीड़िता के पति के खिलाफ 4 दिसंबर 2021 को आईपीसी की धारा 452, 323, 504, 427 और 34 के तहत मामला दर्ज कराई गई थी। इस लिए उसे (याचिकाकर्ता) फंसाने के लिए पीड़िता ने छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराई। याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया कि पीड़िता अपनी सास और ननद के साथ कुर्ला स्थित न्यायालय में उपस्थित होने गई थी। जब वह न्यायालय परिसर में खड़ी थी, तो याचिकाकर्ता उसके पास आया और उसके छाती पर हाथ लगाया। उसने अपने पति को यह घटना बताई। इसके बाद उन्होंने उसके खिलाफ कुर्ला पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला से छेड़छाड़) के तहत मामला दर्ज कराई। यह याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठा मामला है। इसे रद्द किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि पहले मामले के आरोपी की पत्नी द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ दायर मामला जवाबी हमला मात्र है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो संज्ञेय अपराध होने का संकेत दे। हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता पर उस धारा के तहत अपराध का दोषी होने के आरोप स्वाभाविक रूप से असंभव है और आरोपी के खिलाफ कार्यवाही का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। आरोपी के खिलाफ कार्यवाही पक्षों के बीच चल रहे विवाद के एक हिस्से के रूप में शुरू की गई है। ऐसा लगता है कि यह निजी और व्यक्तिगत रंजिश के कारण है। इसलिए याचिका को स्वीकार करते हुए आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किया जाता है।