महत्वाकांक्षी योजना: मुंबई मनपा खर्च करेगी 5 हजार करोड़ रुपए, समुद्र का खारा पानी होगा मीठा

  • समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाने की योजना तैयार
  • जल्द जारी होगा टेंडर, पेयजल समस्या का होगा समाधान
  • मुंबई मनपा खर्च करेगी 5000 करोड़ रुपए

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-22 15:19 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महानगर की बढ़ती जनसंख्या को पर्याप्य पेजयल मुहैया कराने के लिए मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पानी के नए स्रोत तलाशने में लगी है। इसी कड़ी में बीएमसी ने समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाने की योजना तैयार की है। इसके लिए टेंडर भी तैयार कर लिया गया है। अगले कुछ दिनों में टेंडर जारी किया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 5000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। साढ़े तीन वर्ष में प्रोजेक्ट का काम पूरा करने का लक्ष्य है।

फिलहाल सात तालाबों से मुंबई को रोजाना 3,850 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती है। महानगर में पेयजल की आपूर्ति पूरी तरह बारिश पर निर्भर है। औसत से कम बारिश होने पर पेयजल का टेंशन बढ़ जाता है।

बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त (परियोजना) पी. वेलारासू ने बताया कि आने वाले समय में मुंबई की बीडीडी चॉलों का डेवलपमेंट, धारावी झुग्गी बस्ती का विकास के अलावा एसआरए के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। नई बन रहीं बहुमंजिला इमारतों में पानी की आवश्यकता होगी। खारे पानी को मीठा बनाने वाले प्रोजेक्ट से पानी की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

हर दिन मिलेगा 20 करोड़ लीटर पानी

समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाने की परियोजना मालवणी के पास मनोरी द्वीप पर 12 हेक्टेयर में लगाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट से रोजाना 20 करोड़ लीटर पेयजल मिलेगा। बाद में क्षमता विस्तार कर हर दिन 40 करोड़ लीटर पानी भी मिल सकता है।

ढाई किमी दूर से लाया जाएगा खारा पानी

मनोरी में बनने वाले प्लांट के लिए किनारे से ढाई किमी दूर समुद्र की गहराई से खारा पानी प्लांट में लाया जाएगा। इसके लिए 4 मीटर व्यास की जल सुरंग बनाई जाएगी। वहां बड़ा कुआ बनाया जाएगा। पेयजल हासिल करने के बाद बचा पानी समुद्र में छोड़ दिया जाएगा।

थोड़ा महंगा पानी

जलाशय से उपलब्ध पानी के मुकाबले खारे जल से तैयार पेयजल थोड़ा महंगा पड़ेगा। जलाशय से प्रति 10000 लीटर पानी लाने की लागत 38 रुपए है। खारे पानी को मीठे में तब्दील करने की लागत 42 रुपए प्रति हजार लीटर है। इसलिए यह जलाशय के पानी के मुकाबले थोड़ा महंगा होगा।

ग्रीन एनर्जी-पन बिजली से कम होगी लागत

समद्र के पानी को पीने लायक बनाने की लागत कम करने के लिए ग्रीन एनर्जी इस्तेमाल की जा सकती है। हाइब्रिज एनर्जी के रूप में विंड और सोलार का उपयोग किया जाएगा। इससे प्लांट को संचालित करने की लागत कम हो जाएगी।

पी. वेलारासू, अतिरिक्त मनपा आयुक्त (परियोजना) के मुताबिक जिस कंपनी को ठेका दिया जाएगा, उस पर ही प्रोजेक्ट के लिए प्लॉट लेने से लेकर ऑपरेशन, मेंटेनेंस की जिम्मेदारी होगी। कंपनी को 20 साल तक प्रोजेक्ट मेंटेन करना होगा। प्राजेक्ट की कुल लागत 5000 करोड़ होगी। इसमें 2500 करोड़ प्रोजेक्ट लगाने में और 2500 करोड़ 20 वर्ष के मेंटिनेंस पर खर्च होंगे। यह प्रोजेक्ट साढ़े तीन वर्ष में पूरा होगा।


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