एमएसआरटीसी को रत्नागिरी, चिपलुन और लांजा में हाईटेक बस डिपो बनने में देरी पर लगाई फटकार

  • एमएसआरटीसी दाखिल किया हलफनामा
  • साल 2026 तक बस डिपो बनाने का दिया भरोसा
  • साल 2019 में बस डिपो प्रोजेक्ट बनकर होना था तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-31 14:49 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एमएसआरटीसी) को रत्नागिरी, चिपलुन और लांजा में हाईटेक बस डिपो बनने में देरी पर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि बस डिपो बनाने के लिए इतना साल लगता है? अब और ढाई साल का समय बनाने के लिए लगने की बात कह रहे हो। जल्द से जल्द बस डिपो के निर्माण का काम पूरा करें। इसके साथ ही अदालत ने जनहित याचिका को समाप्त कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को वकील ओवेसी पेचकर की मुंबई गोवा महामार्ग पर रत्नागिरी, चिपलुण और लांजा में बनने वाले हाईटेक बस डिपो को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि साल 2017 से 2019 के बीच मुंबई-गोवा महामार्ग पर रत्नागिरी, चिपलुण और लांजा में हाईवे बस डिपो बना था, लेकिन उसका काम अभी तक अधर में लटका हुआ है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने एमएसआरटीसी को हलफनामा दायर कर जवाब मांगा था। गुरुवार को एमएसआरटीसी हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उसने साल 2026 तक हाईटेक बस डिपो बनाने का भरोसा भरोसा दिलाया है।

एमएसआरटीसी की ओर से पेश वकील नितेश भुटेकर ने कहा कि निगम को कुछ और समय लगेगा, लेकिन 2026 तक तीनों डिपो का निर्माण कर लिया जाएगा। खंडपीठ ने कहा कि बस स्टैंड जैसी साधारण चीज बनाने में ढाई साल लगेंगे?'' खंडपीठ ने पूछा कि काम 2017 में शुरू हो गया होगा। हम समझ सकते हैं कि परियोजना की मंजूरी में समय लग सकता है। आप ने जनवरी 2022 में कार्य आदेश जारी किया, लेकिन काम चार महीने बाद ही शुरू हुआ?

एमएसआरटीसी के वकील भुटेकर ने बताया कि देरी के कई कारण थे। जब ठेकेदार को काम मिलता है, तो निर्माण की अनुमति के लिए स्थानीय निकाय से अनुमोदन लेना पड़ता है। दूसरे बस स्टैंड के लिए एक साल लग गया। अदालत ने एमएसआरटीसी को डिपो के निर्माण के लिए अपनी समय सीमा पर फिर से विचार करने का निर्देश देते हुए पेचकर द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अगर डिपो का निर्माण समय पर नहीं हुआ, तो वह अवमानना याचिका दायर कर सकते हैं।

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