हेल्थ स्क्रीनिंग में मिले 4 लाख से अधिक बच्चे बीमार, दांत, त्वचा, नेत्र और सांस की बीमारी से पीड़ित
- बच्चे बीमार-दांत-त्वचा-नेत्र और सांस की बीमारी से पीड़ित
- हेल्थ स्क्रीनिंग में मिले 4 लाख से अधिक बच्चे बीमार
- 12,01,265 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई
- 4,40,246 बच्चे बीमार पाए गए
डिजिटल डेस्क, मोफीद खान, मुंबई। कोविड महामारी के दौरान प्रभावित बच्चों की हेल्थ स्क्रीनिंग अब फिर से शुरू हुई है। स्कूली बच्चों के साथ मुंबई मनपा ने स्ट्रीट चिल्ड्रेन और कॉलेज के छात्रों की स्वास्थ्य जांच की है। इस जांच में मुंबई के 37 फीसदी बच्चे और किशोर बीमार पाए गए हैं।
मुंबई सहित राज्यभर में ‘जागरुक पालक, हेल्दी बालक' अभियान शुरू है। मुंबई में यह अभियान 9 फरवरी से शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत 18 वर्ष आयु वर्ग तक के बच्चों-किशोरों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है। मनपा स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 9 फरवरी से 31 मई तक 12,01,265 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई। इस जांच में 4,40,246 बच्चे बीमार पाए गए।
अभिभावक भी बीमारी से अनजान
मुंबई मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे ने बताया कि स्क्रीनिंग के दौरान 37 फीसदी बच्चे बीमार पाए गए। इनमें पाई गई बीमारियों से अभिभावक भी अनजान थे। सबसे अधिक 10 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे बीमार पाए गए हैं। इनमें से कई बच्चो में दांतों की समस्या पाई गई। कई बच्चों को त्वचा, नेत्र, बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी बीमारी से ग्रसित पाया गया।
हो रही स्क्रीनिंग
डॉ. मंगला गोमारे, कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी-मुंबई मनपा के मुताबिक स्कूल, कॉलेज, आंगनवाड़ी और स्कूल नहीं जानेवाले स्ट्रीट चिल्ड्रेन्स की हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है। बढ़ती उम्र के बच्चों में होने वाली बीमारियों, स्वास्थ्य की कमियां और अन्य विकारों की स्क्रीनिंग टीम द्वारा जांच की जा रही है।
अस्पतालों में किया जा रहा रेफर
डॉ. गोमारे ने बताया कि विभिन्न स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित पाए गए बच्चों और किशोरों को आगे के इलाज के लिए आवश्यकतानुसार प्रसूतिगृह, प्राथमिक, उपनगरीय और प्रमुख मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है। इस अभियान के तहत मुंबई में करीब 24 लाख लड़कों और लड़कियों की जांच की जानी है।
अभियान के उद्देश्य
● 18 वर्ष तक के आयु के सभी लड़के और लड़कियों की स्वास्थ्य जांच, निवारक और उपचारात्मक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना।
● सुरक्षित और अच्छे स्वास्थ्य के लिए परामर्श सुविधाएं प्रदान करना।
● बीमार बच्चों का तुरंत इलाज।
● रेफरल सेवाएं (जैसे दवा, सर्जरी, आदि) प्रदान करके जरूरतमंद बीमार बच्चों का इलाज करना।
कहां-कहां किया जा रहा निरीक्षण
● सरकारी और अर्ध-सरकारी स्कूल और जूनियर कॉलेज
● निजी स्कूल
● नेत्रहीन विद्यालय, विकलांग विद्यालय
● आंगनवाड़ी
● निजी नर्सरी, किंडरगार्डन
● बाल गृह, बाल सुधार गृह
● अनाथालय
●समाज कल्याण एवं जनजातीय विभाग छात्रावास (लड़के/लड़कियां)
● स्ट्रीट चिल्ड्रन की जांच हैल्थपोस्ट के जरिए
9 फरवरी से 31 मार्च तक की गई जांच
आयु बच्चे
0-6 5,13,658
6-10 2,55,354
10-18 4,32,253