बॉम्बे हाईकोर्ट: मीरा पुलिस को लगाई फटकार, पूछा - आईपीसी की धारा 307 के अंतर्गत मामला क्यों नहीं दर्ज किया

  • वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक से हलफनामा दाखिल कर मांगा जवाब
  • बुधवार को मामले की अगली सुनवाई
  • अदालत ने पूछा-आईपीसी की धारा 307 के अंतर्गत मामला क्यों नहीं दर्ज किया

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-07 14:07 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक युवक पर जानलेवा हमला के मामले में मीरा रोड पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि आईपीसी की धारा 307 के अंतर्गत की मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? जबकि युवक के गर्दन, चेहरे, गालों और आंखों पर गंभीर चोट आयी है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 326 के तहत मामला दर्ज किया था, जिससे अदालत से आरोपी जमानत पर छूट गया। अदालत ने मीरा रोड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को रखी गई है।

न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम छगनलाल चांडक की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को विशाल गोस्वामी की ओर से वकील हर्ष शर्मा की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वकील चांदनी चावला ने दलील दी कि इस साल 12 अप्रैल को याचिकाकर्ता विशाल गोस्वामी पर धारदार हथियार से हमला किया गया था। गोस्वामी के गर्दन, चेहरे, गालों और आंखों पर गंभीर चोट आई थी। वह दो सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती था। मीरा रोड पुलिस ने हमलावर अशरफ इकबाल खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 326 के अंतर्गत मामला दर्ज किया, जिससे आरोपी खान को अदालत से जमानत मिल गई। जबकि याचिकार्ता पर गंभीर चोट के कारण आईपीसी की धारा 307 और 394 के तहत स्पष्ट रूप से मामला बनता है।

इस पर खंडपीठ ने पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर आईपीसी की धारा 307 (जानलेवा हमला) के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया? अदालत ने मीरा रोड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया। पिछले दिनों अदालत ने मीरा-भायंदर-वसई-विरार (एमबीवीवी) के पुलिस उपायुक्त को तलब किया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान पुलिस उपायुक्त अदालत में पेश हुए।

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