विपक्ष की नाराजगी: मंत्री सामंत ने एक मिनट में जवाब देकर मंजूर करा लिया पूरक मांगों का प्रस्ताव
- मंत्री बोले- सदस्यों के विचार अनमोल हैं
- लिखित जवाब भेज देंगे
- विपक्ष के सदस्यों ने पूरा जवाब न मिलने को लेकर जताई नाराजगी
- उपसभापति बोलीं- कोविड में तो लिखित जवाब भी नहीं मिलता था
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में राज्य सरकार के साल 2023-24 के 8 हजार 609 करोड़ 17 लाख रुपए के पूरक मांगों का प्रस्ताव मंजूर हो गया है। बुधवार को सदन में साल 2023-24 के पूरक मांगों के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इस प्रस्ताव पर सत्तारूढ़ और विपक्ष के लगभग 22 सदस्यों ने हिस्सा लिया। जिसके बाद प्रदेश के कैबिनेट मंत्री उदय सामंत ने महज एक मिनट जवाब देकर इस प्रस्ताव को मंजूर करा दिया। सामंत ने कहा कि पूरक मांगों पर हुई चर्चा में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के विचार बहुत अनमोल हैं। सदन के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों का लिखित जवाब भेजा जाएगा।
कैबिनेट मंत्री सामंत के इस उत्तर पर राकांपा (शरद) के सदस्य शशिकांत शिंदे ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सामंत को पूरा जवाब देना चाहिए। जिसके बाद सदन की उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि नियमों के अनुसार अगले 15 दिनों के भीतर मंत्रालय के संबंधित विभाग के अधिकारियों के जरिए सदस्यों को लिखित जवाब दे देंगे। उपसभापति ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सदस्यों को लिखित जवाब भी नहीं मिल रहे थे, उस समय मुंह पर मास्क था। लेकिन अब सदस्यों को लिखित जवाब दे दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार थी।
महाराष्ट्र सहकारी संस्था संशोधन विधेयक विधान परिषद में नहीं हो पाया पारित
प्रदेश की सहकारी संस्थाओं के अधिकारियों के खिलाफ दो साल के भीतर अविश्वास दाखिल न किए जा सकने वाले विधेयक का विधान परिषद में विपक्ष ने विरोध किया। इस कारण सरकार विधान परिषद में विधेयक को पारित नहीं करा सकी। अब सरकार गुरुवार को इस विधेयक पर विपक्ष के साथ चर्चा करके आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। बुधवार को विधान परिषद में राज्य के सहकारिता मंत्री दिलीप वलसे-पाटील ने महाराष्ट्र सहकारी संस्था संशोधन विधेयक 2024 को मंजूरी के लिए पेश किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सहकारी संस्था विधेयक के तहत पहले छह महीने के भीतर अधिकारियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था, लेकिन अब संशोधन विधेयक में अधिकारियों के खिलाफ 2 साल के बाद अविश्वास प्रस्ताव दाखिल नहीं कर सकने संबंधी प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं के चुनाव के बाद अधिकारियों को काम करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके लिए विधेयक में यह प्रावधान किया गया है। इसका विरोध करते हुए विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने विधेयक को विधानमंडल की संयुक्त समिति के पास भेजने की मांग की। दानवे ने कहा कि दो साल के भीतर अविश्वास प्रस्ताव दाखिल नहीं कर सकने की स्थिति में सहकारी संस्थाओं के अधिकारियों की मनमानी बढ़ जाएगी। जिस पर सदन में उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों का विपक्ष ने विरोध किया है। इसलिए इस विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए गुरुवार को सुबह विधान परिषद के विधायक दल नेताओं की बैठक होगी। इससे पहले विधानसभा में इस विधायक को मंजूरी मिल चुकी है।
राज्य के स्कूलों में पढ़ने वाली सभी छात्राओं को भी दिया जाएगा कराटे का प्रशिक्षण
उच्च शिक्षा संस्थानों के बाद अब राज्य के सभी स्कूलों को भी छात्राओं के लिए तीन महीने कराटे के प्रशिक्षण की व्यवस्था करने को कहा गया है। राज्य के स्कूलों में 1 करोड़ 71 हजार से ज्यादा छात्राएं हैं जिन्हें यह प्रशिक्षण दिया जाएगा। दरअसल साल 2014 की महिला नीति में ही राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों और स्कूलों में पढ़ने वाली सभी छात्राओं के लिए कम से कम 3 महीने की कराटे ट्रेनिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ था। मुंबई के चर्नी रोड इलाके में एक छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या का मामला सामने आने के बाद यह मांग एक बार फिर उठने लगी। सुराज निर्माण सेना की महिला अध्यक्ष पुष्टि भारद्वाज ने शिक्षा आयुक्त को पत्र लिखकर छात्राओं को कराटे ट्रेनिंग के निर्देश जारी करने का आग्रह किया था जिसके बाद यह आदेश जारी किया गया। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा संचालकों को कहा गया है कि वे इसके लिए दिशानिर्देश जारी करें। इससे पहले उच्च शिक्षा संचालक ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया था।
तीन महीने में सिर्फ बुनियादी ट्रेनिंग
छात्राओं को लंबे समय से कराटे की ट्रेनिंग दे रहीं और एसएनडीटी कॉलेज से जुड़ी पूजा मिसल ने कहा कि तीन महीने की ट्रेनिंग में छात्राओं को हमले से बचाव के कुछ तरीके सिखाए जा सकते हैं। किस तरह खुद को बचाकर भागे, मदद हासिल करें और ऐसी स्थिति में डरें नहीं इसी बात की ट्रेनिंग इतने कम समय में दी जा सकती है। किसी तरह का प्रशिक्षण न होने से तीन महीने की ट्रेनिंग भी बेहतर है। बच्चों को कराटे सिखाने वाले महेश नवले ने कहा कि तीन महीने में छात्राओं को यह बताया जा सकता है कि वे कैसे हमलावर के आंखों या दूसरे नाजुक अंगों पर वार कर भाग सकतीं हैं। तीन महीने में उन्हें ज्यादा मजबूत बना पाना संभव नहीं होगा लेकिन कम से कम उनमें आत्मविश्वास आएगा और उन्हें यह पता होगा कि अप्रिय स्थिति में उन्हें सबसे पहले क्या करना है।