चुनाव की तैयारी: आरक्षण को लेकर मराठा-ओबीसी आमने-सामने, महायुति सरकार की मुश्किलें बढ़ीं
- विधानसभा चुनाव से पहले मुश्किलें बढ़ीं
- ओबीसी कोटा बचाने जालना के बाडीगोद्री गांव में 13 जून से अनशन कर रहे दो कार्यकर्ता
- बदले की भावना से ओबीसी आंदोलन
- गलतफहमियां पैदा की जा रहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई. लोकसभा चुनाव बीतने के बाद अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इस बीच आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधान मंडल में सर्वसम्मति से मराठा आरक्षण विधेयक पारित हो चुका है। इसके बावजूद मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। मराठा समाज को कुर्मी का प्रमाण पत्र देने के विरोध में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) ने आंदोलन शुरू कर दिया है। ओबीसी समाज मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटील की मांग के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। ओबीसी कोटा बचाने के लिए जालना के वाडीगोद्री गांव में अन्य पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे 13 जून से अनशन पर बैठे हैं। आरक्षण को लेकर मराठा समाज और ओबीसी के आमने-सामने होने से ऐन चुनाव के मौके पर राज्य की महायुति सरकार के लिए एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआं वाली स्थिति पैदा हो गई है। राज्य के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल सहित ओबीसी नेता अपने समाज के साथ एकजुट दिखाई दे रहे हैं। ओबीसी समाज के लोगों ने मंगलवार को धुले-सोलापुर मार्ग पर प्रदर्शन किया। इस मार्ग पर कुछ समय के लिए आवागमन रुक गया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाया तब वाहनों की आवाजाही शुरू हुई।
बदले की भावना से ओबीसी आंदोलन
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने दावा किया कि ओबीसी कार्यकर्ता बदले की भावना से आंदोलन कर रहे हैं। जरांगे ने कहा कि हम उनकी वजह से अपना आंदोलन तेज या बड़ा नहीं करेंगे। लेकिन हम ओबीसी कोटे में आरक्षण लेकर रहेंगे और वह भी मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के भीतर। हमने सरकार को एक महीने का समय दिया है। उन्होंने कहा कि कहा कि ओबीसी आंदोलन से मराठा समुदाय के सदस्यों को मतभेद भुलाने तथा आरक्षण की मांग के लिए एकजुट होने में मदद मिलेगी। विधान मंडल में पारित विधेयक में मराठा समाज के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
सरकार किसी के आरक्षण के खिलाफ नहीं
अनशन पर बैठे वाघमारे और हाके राज्य सरकार से यह लिखित आश्वासन चाहते हैं कि मराठा आरक्षण से ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होगा। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि सरकार किसी के भी आरक्षण के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि वे ओबीसी समाज के कार्यकर्ताओं की मांग सरकार के समक्ष रखेंगे।
गलतफहमियां पैदा की जा रहीं
राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि हम किसी को आरक्षण देने का विरोध नहीं करते। राज्य सरकार कई बार इस पर सफाई दे चुकी है। लेकिन समाज के बीच गलतफहमियां पैदा की जा रही हैं। सरकार को गलतफहमियां जल्द दूर करनी चाहिए। इस राज्य और देश में पहले के आंदोलनों को सरकार से जो सम्मान मिला है, वही सम्मान इस आंदोलन और मांगों को भी दिया जाना चाहिए।
ओबीसी कोटा से न हो छेड़छाड़
हाके और वाघमारे का कहना है कि वे मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन इससे ओबीसी कोटा में छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। ओबीसी कार्यकर्ता सरकार की उस मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सेज सोयरे’ (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है।