चुनावी तैयारी: लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर महाविकास आघाडी की बैठक, आंबेडकर को भी आमंत्रण

  • प्रकाश आंबेडकर को बैठक का आमंत्रण भेजा
  • लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने की बात
  • लोकसभा सीटों के बंटवारे की कवायद

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-24 15:32 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाविकास आघाडी के तीनों ही दलों कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद) ने लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने की बात कही है। लेकिन तीनों ही दल पिछले काफी समय से अलग-अलग चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। कांग्रेस ने तो राज्य की सभी 48 लोकसभा सीटों का जायजा भी ले लिया है। कई दिनों बाद अब आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर आघाडी गठबंधन की बुधवार को मुंबई में बैठक होगी। इस बैठक के लिए पहली बार वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) प्रमुख प्रकाश आंबेडकर को आमंत्रित किया गया है।

शिवसेना (उद्धव) सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बुधवार को महाविकास आघाडी की सीटों के बंटवारे को लेकर मुंबई में बैठक हो रही है। इस बैठक में तीनों ही दलों में सीटों के बंटवारे पर चर्चा होगी। राऊत ने कहा कि इस बैठक के लिए प्रकाश आंबेडकर को भी आमंत्रित किया गया है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि वीबीए महाविकास आघाडी गठबंधन में शामिल हो सकती है।

प्रकाश आंबेडकर के आघाडी में शामिल होने के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि तीनों ही दलों में अभी सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा जारी है। ऐसे में अगर प्रकाश आंबेडकर आघाडी के साथ गठबंधन में शामिल होते हैं तो कांग्रेस को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। पटोले ने कहा कि लोकसभा चुनाव अभी घोषित नहीं हुआ है, ऐसे में वीबीए का आघाडी में शामिल होना गठबंधन को और मजबूत बनाएगा।

इससे पहले महाविकास आघाडी में लोकसभा की सीटों के बंटवारे को लेकर काफी दिनों से बातचीत चलती रही, लेकिन सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला नहीं हो सका था। तब कांग्रेस ने राज्य में विभागों के हिसाब से सीटों पर तैयारियां शुरू कर दी थीं। गडचिरौली में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले की अध्यक्षता में हुई बैठक में कांग्रेस के ज्यादातर नेता इस पक्ष में दिखे कि कांग्रेस इस बार राज्य में कम से कम 23 सीटों पर चुनाव लड़ें। हालांकि आघाडी के दोनों दल शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद) कांग्रेस को इतनी संख्या में सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि तीनों दलों में सीटों के बंटवारे पर आम राय नहीं बन सकी थी।


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