लोकसभा: स्वदेश दर्शन को लेकर 76 परियोजनाओं में महाराष्ट्र की सिर्फ दो, जल जीवन मिशन पर टास्क फोर्स का गठन

  • जल जीवन मिशन के कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए टास्क फोर्स का गठन
  • पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं : केन्द्र
  • पर्यावरणीय मंजूरी के लिए महाराष्ट्र की कोई भी सिंचाई परियोजना केंद्र के विचाराधीन नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-22 15:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. स्वदेश दर्शन योजना के तहत देश भर में अभी 76 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इन परियोजनाओं पर कुल 5,288 करोड़ रूपये खर्च होने हैं। इन 76 परियोजनाओं में महाराष्ट्र की दो और मध्यप्रदेश की चार परियोजनाएं शामिल हैं। यह जानकारी केन्द्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोमवार को लोकसभा में दी। शेखावत ने बताया कि देश में चल रही 76 परियोजनाओं में महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग तटवर्ती परिपथ- सागरेश्वर, तरकर्ली, विजयदुर्ग मितभाव का विकास और वाकी-अडासा-धापेवाड़ा-परदसिंघा-तेलंखंडी-गिराड का विकास शामिल है। इसमें पहली परियोजना पर 19 करोड़ तो दूसरी परियोजना पर 45.47 करोड़ रूपये खर्च होंगे। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में पन्ना-मुकुंदपुर-संजय-डुबरी-बांधवगढ़-कान्हा-मुक्की-पेंच में वन्यजीव परिपथ का विकास, सांची-सतना-रीवा-मंदसौर-धार का विकास, ग्वालियर-ओरछा-खजुराहो-चंदेरी-भीमबेटका-मांडु का विकास और गांधीसागर बांध-मंडलेश्वर बांध-ओंकारेश्वर बांध-इंदिरा सागर बांध-तवा बांध-बरगी बांध-भेड़ा घाट-वाणसागर बांध-केन नदी का विकास शामिल है। इन चारों परियोजनाओं पर क्रमश: 92 करोड़, 74 करोड़, 90 करोड़ और 93 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि अब पर्यटन मंत्रालय ने देश में स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से स्वदेश दर्शन 2.0 के रूप में योजना को परिवर्तित किया और इस योजना के तहत विकास के लिए 57 स्थलों को चिन्हित किया गया है। खास बात यह कि स्वदेश दर्शन 2.0 में महाराष्ट्र का एक भी स्थल शामिल नहीं है। बता दें कि पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीमेटिक परिपथों को विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 में अपनी स्वदेश दर्शन योजना की शुरूआत की थी।

जल जीवन मिशन के कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए टास्क फोर्स का गठन

उधर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील ने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत राज्यों में चल रहे कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर एक टास्क फोर्स गठित किया गया है। इसके तहत अधिकारी राज्यों में चल रहे कार्यों का प्रत्यक्ष स्थल पर जाकर मुआयना करेंगे। केंद्रीय मंत्री पाटील ने सोमवार को यह जानकारी राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अशोक चव्हाण के उस प्रश्न के जवाब में दी, जिसमें सांसद ने महाराष्ट्र में अन्य राज्यों के मुकाबले जल जीवन मिशन के कामों की गति धीमी गति पर सवाल उठाया था। सांसद चव्हाण ने राज्यसभा में जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल योजना का कार्य अपेक्षित गति से जारी नहीं होने का मुद्दा सरकार के संज्ञान में लाते हुए कहा कि देशभर में इस योजना के तहत कार्य अच्छे चल रहे है। महाराष्ट्र में भी काम चल रहे है, लेकिन इसकी गति बेहद धीमी है। निर्धारित समय में काम होते हुए नहीं दिख रहे है। उन्होंने कहा कि कामों का बजट और इसके कार्यान्वयन के लिए नियुक्त निजी संस्था द्वारा अपेक्षा के अनुसार काम पूरे नहीं किए जा रहे है। इस पृष्ठभूमि में उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा करें, निजी संस्थाओं द्वारा उचित तरीके से काम नहीं किए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई और जरूरत के अनुसार संबंधित कामों के लिए निधि उपलब्ध कराई जाए।

पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं : केन्द्र

वहीं राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मुद्दा बन चुकी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लेकर केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में कांग्रेस सांसद प्रणीती शिंदे के एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। प्रणीति ने पूछा था कि क्या सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर विचार कर रही है? चौधरी ने कहा कि केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने कहा कि अटल पेंशन योजना नामक एक स्कीम मई 2015 को लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य सभी भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों, वंचितों तथा असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाना था। यह भारत के उन सभी नागरिकों के लिए खुली है, जिनकी आयु 18-40 वर्ष के बीच है और बैंक या पोस्ट ऑफिस में बचत खाता है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन स्कीम नामक एक और स्कीम भी है, जो वृद्धावस्था सुरक्षा कवर प्रदान करने के मकसद से 2019 में शुरू की गई थी। इससे 60 वर्ष की आयु प्राप्त होने पर 3,000 रूपये प्रतिमाह की पेंशन का प्रावधान है।

पर्यावरणीय मंजूरी के लिए महाराष्ट्र की कोई भी सिंचाई परियोजना केंद्र के विचाराधीन नहीं

केंद्रीय पर्यावरणीय और वन संबंधी स्वीकृति के अभाव में राज्यों सरकारों की चाहे वह सिंचाई हो या अन्य कई परियोजनाएं लंबित पडी है। ऐसे में महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जिसकी कोई सिंचाई परियोजना केंद्र सरकार के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लंबित नहीं है। इसका मतलब यह कि प्रदेश में ऐसी कोई भी सिंचाई परियोजना नहीं जिसका निर्माण कार्य केंद्रीय पर्यावरणीय मंजूरी के अभाव में ठप पड़ा है।

चंद्रपुर से सांसद डॉ नामदेव किरसान ने सोमवार को लोकसभा में पर्यावरणीय मंजूरी के लिए लंबित परियोजनाओं का ब्यौरा मांगा था। इसके जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने यह जानकारी दी। मंत्री ने परिवेश पोर्टल पर उपलब्ध सूचना के आधार पर बताया कि महाराष्ट्र सरकार की कोई सिंचाई परियोजना केंद्र सरकार की पर्यावरणीय मंजूरी के लिए विचाराधीन नहीं है।

हालांकि, उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार की तीन सिंचाई परियोजनाएं, जिनमें चंद्रपुर जिले में असोलमेंधा नवीकरण परियोजना (क्षेत्र 31574 हेक्टेयर), रायगढ़ जिले में सांबरकुंड मध्यम परियोजना (क्षेत्र 263540 हेक्टेयर) और भंडारा जिले में सोरना मध्यम परियोजना (क्षेत्र 0783 हेक्टेयर) की सोरना फीडर नहर पर 600 एमटी से 1140 एमटी तक पाइप लाइन वितरण प्रणाली को वन भूमि के अपवर्तन के लिए परिवेश पोर्टल पर प्रस्तुत किया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने वन, पर्यावरण और वन्यजीव मंजूरी प्राप्त करने के लिए ‘परिवेश’ नामक एक ऑनलाइन एप्लीकेशन बनाया है। इस पर प्रस्तुत प्रस्तावों को आनलाइन ही मंजूरियां प्रदान की जाती है।

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