बॉम्बे हाईकोर्ट: लावारिस गौवंश समेत जानवरों के संरक्षण पर महाराष्ट्र पशु कल्याण बोर्ड-सिडको को फटकार

  • जनहित याचिका में लावारिस गौवंश समेत जानवरों के लिए गौशाला (शेल्टर) का अनुरोध
  • महाराष्ट्र पशु कल्याण बोर्ड को गौशाला (शेल्टर) की जांच रिपोर्ट और सिडको को हलफनामा दाखिल करने के निर्देश

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-13 16:08 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने लावारिस गौवंश संरक्षण को लेकर शहर और औद्योगिक विकास महामंडल (सिडको) और महाराष्ट्र पशु कल्याण बोर्ड को फटकार लगाई। अदालत ने सिडको से पूछा कि लावारिस गौवंश समेत जानवरों के लिए गौशाला (शेल्टर) की क्या व्यवस्था है? अदालत की मॉनिटरिंग कमेटी ने रिपोर्ट दिया है कि नवी मुंबई में लावारिस गौवंश समेत जानवरों के लिए कोई शेल्टर नहीं है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को गोवंश रक्षण संवर्धन संस्था (गोवर्धन गोशाला) की ओर से वकील सिद्ध विद्या की दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

जनहित याचिका में सिडको के पनवेल में आसुडगाव स्थित खांदा कालोनी से गौशाला को खाली करने को लेकर जारी नोटिस को चुनौती दी गई है। साथ ही अदालत से लावारिस गौवंश समेत जानवरों के लिए शेल्टर की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है। पिछले दिनों अदालत ने महाराष्ट्र पशु कल्याण बोर्ड को गोवंश रक्षण संवर्धन संस्था के शेल्टर की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। बोर्ड की वकील ने कहा कि सेल्टर की जांच कर रिपोर्ट तैयार की गई है। वह जल्द ही अदालत में रिपोर्ट पेश कर देंगी।

अदालत ने इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाया था, जो अपनी रिपोर्ट सौंप दिया है। रिपोर्ट में नवी मुंबई में लावारिस जानवरों के लिए कोई शेल्टर नहीं है। इस पर अदालत ने सिडको को फटकार लगाया कि पनवेल में आसुडगाव के शेल्टर को हटाने पर लावारिस पशु कहां जाएंगे और उनके संरक्षण की क्या व्यवस्था है? खंडपीठ ने सिडको को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है।

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि नवी मुंबई में बन रहे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्‌डे से प्रभावित व्यक्ति का पुनर्वास किया गया, लेकिन उससे प्रभावित लावारिस गौवंश समेत सभी जानवरों को रास्ते पर छोड़ दिया गया था। गौवंश रक्षक संवर्धन संस्था ने सिडको के जानवरों के लिए आरक्षित शेल्डर में लावारिस गौवंश को रखा और उनकी देखरेख कर रहे हैं। सिडको ने पिछले साल गौशाला को खालिक करने का नोटिस दे दिया था। सिडको इस गौशाला को खाली करा कर लावारिस कुत्तों के लिए देने के लिए कह रही है।

बोलार्ड हटाने का मामला: हाई कोर्ट ने एमएसआरडीसी और एमएमआरडीए पर जताई नाराजगी

- दो सप्ताह में हलफनामा दायर करने का निर्देश

- बीएमसी ने 3 महीने में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बाधा बने बोलार्ड हटाने का किया दावा

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के फुटपाथ पर दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बाधा बने बोलार्ड हटाने के मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताई। अदालत ने उन्हें दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को 3 महीने में बोलार्ड को हटाने की रिपोर्ट देने को कहा है। इस प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष हो रही है। सरकारी वकील ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है। इस पर खंडपीठ ने सलाहकार बोर्ड द्वारा उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया। बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अनिल सिंह ने कहा कि बीएमसी के सभी 24 वार्डों से 3 महीने में दिव्यांगों के व्हीलचेयर के लिए बाधा बने बोलार्ड को हटा लिया जाएगा। इस पर एमिकस क्यूरी वकील जमशेद मिस्त्री ने कहा कि फुटपाथों पर दिव्यांग व्यक्तियों की पहुंच के लिए क्या कदम हैं? अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

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