बॉम्बे हाईकोर्ट: वकील कानून के तहत अपराधों के आरोप से विशेष सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते

  • अदालत ने राज्य सरकार के 4 सप्ताह में मांगा जवाब
  • आजाद मैदान में पुलिस की वकीलों के साथ मारपीट का मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-18 16:06 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि वकील किसी भी तरह से बच नहीं सकते हैं। कानून सभी के लिए समान है। वे कानून के तहत अपराधों के आरोप से छूट या विशेष सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते हैं। हालांकि अदालत ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 11 जून को रखी गई हैं।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ के समक्ष वकील नितिन सतपुते की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील विनोद रमन ने दलील दी कि व्यक्तियों को विरोध करने से रोकने के लिए आपराधिक बल का उपयोग करना अवैध था। राज्य में एक वकील जोड़े का अपहरण कर हत्या कर दी गयी थी।

इसकी निंदा के लिए 2 फरवरी को वकील आजाद मैदान में इकट्ठा हुए थे। इस दौरान पुलिस ने वकीलों के साथ मारपीट की, जिससे कई वकील घायल हो गए। याचिका में वकीलों के साथ मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने कहा कि घटना के सीसीटीवी फुटेज से कोई मनमानी सामने नहीं आई है। पुलिस बैरिकेड्स उन्हें मंत्रालय (राज्य सचिवालय) तक मार्च करने से रोकने के लिए लगाए गए थे।

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 353 और 332 वकीलों पर लागू नहीं होनी चाहिए। उन्हें इसके तहत अपराधों के लिए आरोपित होने से छूट दी जानी चाहिए। ये धाराएं लोक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के लिए आपराधिक बल का उपयोग करने से संबंधित हैं।

केंद्र सरकार को भारतीय दंड संहिता में एक नया प्रावधान धारा 353 (ए) जोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।


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