हाईकोर्ट: मकान मालिक की चिंता और हितों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
- मकान मालिक को लेकर अदालत की टिप्पणी
- ट्रायल कोर्ट की याचिका में मकान मालिक को पक्षकार बनाने का निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई. हाई कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक की वैध चिंताओं और हितों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में मकान मालिक को पक्षकार (पार्टी) बनाने का निर्देश दिया है। किराएदार ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की नोटिस को ट्रायल कोर्ट में चुनौती दी है। बीएमसी का आरोप है कि दुकान में अवैध रूप से निर्माण कार्य और मूल ढांचे में बदलाव किया गया है।इसके बाद दुकान मालिक ने ट्रायल कोर्ट में उसे पक्षकार बनाने की याचिका की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति मिलिंद एन.जाधव की एकल पीठ ने दक्षिण मुंबई कीएक दुकान मालिक की ओर से वकील आसिफ शेख द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि बीएमसी द्वारा किराएदार को जारी किए गए नोटिस, उसके कर्मचारियों और एजेंटों को विवादित निर्माण हटाने के लिए परिसर में प्रवेश का निर्देश, मकान मालिक के स्वामित्व वाली संपत्ति में प्रवेश होगा। ऐसे में मकान मालिक की वैध चिंताओं और हितों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
यदि मकान मालिक मुकदमे में पक्षकार बनना चाहता है, तो मुकदमे के व्यापक और न्यायसंगत समाधान के लिए उसे शामिल करना उचित है।पीठ ने कहा कि किराएदार के पास लाइसेंस के माध्यम से केवल दुकान है। जबकि मकान मालिक लाइसेंस समाप्ति पर पूर्ण स्वामित्व का अधिकार रखता है। अदालत ने मकान मालिक की याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट में मकान मालिकको पक्षकार (पार्टी) बनाने का निर्देश दिया है।