जीवनदान: हृदय प्रत्यारोपण करनेवाला देश का एकमात्र मनपा अस्पताल बना केईएम
- बीएमसी के केईएम अस्पताल में छह दशक बाद हार्ट ट्रांसप्लांट शुरू
- ब्रेनडेड महिला के अंगदान से 38 वर्षीय को मिली नई जिंदगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई. मनपा द्वारा संचालित केईएम अस्पताल में छह दशक बाद हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। इसी अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित हुई एक 34 वर्षीय महिला का हृदय अस्पताल में इलाज करा रहे हृदय रोग से पीड़ित38 वर्षीय पुरुष में प्रत्यारोपित किया गया। छत्रपति संभाजीनगर के रहनेवाले इस 38 वर्षीय के हृदय प्रत्यारोपण के लिए निधि भी अस्पताल ने चैरिटी के जरिये एकत्रित की थी। यह सर्जरी गुरुवार को हुई।केईएम अस्पताल इस तरह का जटिल हृदय प्रत्यारोपण करनेवाला देश का एकमात्र मनपा अस्पताल बन गया है।
मुंबई मनपा के अतिरिक्त आयुक्त सुधाकर शिंदे ने बताया कि लगभग छह दशक पहले केईएम अस्पताल में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। जो असफल रही। अस्पताल में फिर से हृदय प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू करने के लिए डॉ. शिंदे ने पहल की है। अस्पताल प्रशासन के प्रयासों के कारण बीते वर्ष अक्टूबर में अस्पताल को हृदय प्रत्यारोपण के लिए प्रोविजनल लाइसेंस मिला और फिर प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक सभी मशीनरी जुटाने का काम अस्पताल की डीन डॉ. संगीता रावत ने किया। डॉ. शिंदे ने बताया कि निजी अस्पतालों में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 35 लाख रुपए खर्च आता है जबकि केईएम अस्पताल में इसके लिए सिर्फ आठ लाख रुपए खर्च आता है। अस्पताल के कार्डियक सर्जन विभाग के प्रमुख डॉ. उदय जाधव ने बताया कि वर्ष 2017 में ही हार्ट ट्रांसप्लांट फिर से शुरू करने की कोशिश की गई थी और डॉ. शिंदे की मदद से यह अब साकार हो पाया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल अस्पताल में हृदय पाने के लिए दो मरीज वेटिंग पर हैं।
जिंदगी दे गई सई
कल्याण की रहनेवाली 34 वर्षीय सई दीपक परब को केईएम अस्पताल में उच्च रक्तचाप के चलते हुए स्ट्रोक के कारण भर्ती किया गया था। स्वास्थ्य में सुधार न होने के कारण उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया था।
दीपक परब, दानदाता महिला के पति का कहना है कि सई अब दुनिया में नहीं है लेकिन उनका अंग किसी के काम आ सके और इन अंगों के जरिये उसे जीवित रखने के लिए अंगदान करने का फैसला लिया था। सई के हृदय के साथ आंखेंभी दान की गई है।
तीन वर्ष में सरकारी अस्पताल में दूसरी बार अंगदान
जोनल ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेशन कमिटी (जेडटीसीसी) के मुताबिक बीते तीन वर्षों में सरकारी अस्पताल में दूसरी बार अंगदान हुआ है। इसके पहले 2021 में सरकारी अस्पताल में अंगदान किया गया था। वर्ष 1997 से लेकर 12 जुलाई 2024 तक मुंबई में 680 ब्रेन डेड मरीजों का अंगदान हुआ है जिसमें से सिर्फ 36 अंगदान सरकारी अस्पतालों में हुए हैं।
डॉ. संगीता रावत, डीन-केईएम अस्पताल का कहना है कि इस प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल की मुख्य इमारत से लेकर सीबीटीएस बिल्डिंग तक आधा किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। प्रत्यारोपण की प्रक्रिया दोपहर तीन बजे शुरू हुईथी और अगले दिन सुबह सात बजे पूरी हो गई।