हाईकोर्ट: रिया चक्रवर्ती, शोविक और पिता के खिलाफ जारी एलओसी रद्द की याचिका पर फैसला सुरक्षित

  • अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला
  • जारी लुक-आउट सर्कुलर (एलओसी) को रद्द की याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित
  • संशोधित आईटी नियमों के खिलाफ कुणाल कामरा समेत तीन याचिकाओं पर राय के लिए न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर नियुक्त

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-08 16:02 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को अभिनेता रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक और उनके पिता की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। उन्होंने याचिका में उनके खिलाफ जारी लुक-आउट सर्कुलर (एलओसी) को रद्द करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की चल रही जांच के सिलसिले में उनके खिलाफ एलओसी जारी किया है। एलओसी किसी मामले में आरोपी व्यक्तियों को अदालत की मंजूरी के बिना विदेश यात्रा करने से रोकती है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-ढेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ के समक्ष रिया, उनके भाई और पिता की याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने 2020 से लंबित मामले पर गौर किया, जिसमें सीबीआई ने आरोप पत्र भी दाखिल नहीं किया है। खंडपीठ ने कहा कि किसी मामले में कुछ अंतिम निष्कर्ष होना चाहिए। यह वित्तीय धोखाधड़ी नहीं है, जिसमें इतना समय लगेगा। इस मामले में हमने देखा कि एक ऐसे गवाह के लिए एलओसी जारी की गई थी, जो अपनी आजीविका कमाने के लिए विदेश नहीं जा सकता था। यदि ऐसा मामला है, तो कौन गवाह आगे आएगा? कुछ विवेक भी रखना होगा। यह कोई घोटाले का मामला नहीं है, जहां लेन-देन की प्रकृति को समझने में वर्षों लग जाते हैं। चक्रवर्ती के वकील अभिनव चंद्रचूड़ और प्रसन्ना भंगाले ने दलील कि मुंबई सही क्षेत्राधिकार था, क्योंकि राजपूत और चक्रवर्ती दोनों वहां रहते थे और सीबीआई ने इस शहर में अपनी जांच की। सीबीआई की ओर से पेश वकील शिरसाट ने क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए एलओसी रद्द करने का विरोध किया।

संशोधित आईटी नियमों के खिलाफ कुणाल कामरा समेत तीन याचिकाओं पर राय के लिए न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर नियुक्त

बॉम्बे हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम 2023 के विशेष रूप से नियम 3 में संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर खंडित फैसले पर राय देने के लिए न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर को नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति चंदुरकर द्वारा अपनी राय देने के बाद खंडपीठ बहुमत के आधार पर निर्णय सुनाने के लिए फिर से एकत्रित होगी। 5 फरवरी को स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और अन्य सहित याचिकाकर्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से संपर्क किया था और यह आशंका जताया था कि मामले की सुनवाई के लिए तीसरे न्यायाधीश को नियुक्त नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता कामरा वरिष्ठ वकील नवरोज सीरवई ने मांग की थी कि केंद्र के बयान के विस्तार के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए न्यायमूर्ति पटेल की अगुवाई वाली पीठ का पुनर्गठन किया जाए। खंडपीठ ने कहा कि वे उस अवधि से अधिक अंतरिम राहत जारी रखने का आदेश पारित करने पर सहमत नहीं थे।

केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह फैक्ट चेक यूनिट को तब तक सूचित नहीं करेगा जब तक कि तीसरे न्यायाधीश अंतरिम राहत के लिए याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेते हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि एफसीयू को 10 दिनों तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा। उनके पास इसे अनिश्चित काल तक बढ़ाने के निर्देश नहीं हैं। 31 जनवरी को हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर खंडित फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति गौतम एस.पटेल ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों से सहमति व्यक्त की और संशोधन को रद्द कर दिया था, जबकि न्यायमूर्ति नीला के गोखले ने सरकार के पक्ष को बरकरार रखा था

Tags:    

Similar News