कार्रवाई: जयपुर - मुंबई सुपरफास्ट गोलीबारी मामले में आरपीएफ के दो जवान बर्खास्त

  • सवाल-वरिष्ठ अधिकारियों पर कब होगा एक्शन
  • विभागीय जांच के बाद प्रशासन ने की कार्रवाई
  • यात्रियों की जान नहीं बचाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-11 10:13 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में गोलीबारी मामले मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने सिपाही अमय आचार्य और नरेंद्र परमार को बर्खास्त कर दिया है। विभागीय जांच के बाद प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई की गई। बता दें कि ड्यूटी पर तैनात आरपीएफ जवान चेतन सिंह चौधरी ने 31 जुलाई, 2023 को कथित तौर पर ट्रेन में सफर कर रहे तीन यात्रियों सहित सीनियर एएसआई टीकाराम मीणा की एके- 47 सर्विस राइफल से गोली मार कर हत्या कर दी थी। उस दिन यह दोनों जवान भी ट्रेन में आरोपी चेतन के साथ तैनात थे। सवाल उठाए जा रहे कि आरोपी चेतन को ड्यूटी पर तैनात करने और हथियार देने वाले आरपीएफ के वरिष्ठ अफसरों पर कब कार्रवाई होगी। सूत्रों के अनुसार अमय और नरेंद्र अपनी बर्खास्तगी को अदालत में चुनौती देंगे।

यात्रियों की जान नहीं बचाई

अमय और नरेंद्र की बर्खास्तगी की वजह आरपीएफ ने यह बताई है कि दोनों ने यात्रियों की जान बचाने के लिए कुछ नहीं किया। अपनी जान बचाने के लिए वे सुरक्षित जगह छिप गए थे। जबकि उन्हें यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए थी। यह सेवा में खामी है।

क्या है मामला

जयपुर से मुंबई आ रही सुपरफास्ट ट्रेन में 31 जुलाई, 2023 को गोलीबारी हुई थी। पालघर में वैतरणा नदी पार करने के बाद ट्रेन के कोच बी-5, एस-6 और एस-5 में चेतन ने एके-47 सर्विस राइफल से गोलीबारी की थी। पुलिस की जांच रिपोर्ट के मुताबिक चेतन ने सबसे पहले सीनियर एएसआई मीणा को टॉयलेट के पास गोली मारी। इसके बाद उसने ट्रेन में सफर कर रहे यात्री अब्दुल कादरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला, असगर अब्बास शेख और एस. सैयद को भी गोली मार दी। चेतन को मीरा रोड के पास गिरफ्तार किया गया जब वह चेन खींच कर गाड़ी रोक भागने की फिराक में था।

कोर्ट में चल रही सुनवाई

मामले की सुनवाई दिंडोशी कोर्ट में चल रही है। आरोपी चेतन फिलहाल अकोला जेल में है। चेतन ने अदालत में अर्जी लगाई है कि उसे अकोला कारागार से मुंबई के ऑर्थर रोड जेल स्थानांतरित किया जाए।

राजीव सिंघल, सदस्य-जेडआरयूसीसी, पश्चिम रेलवे के मुताबिक आरपीएफ में सुरक्षा बल की कमी है। जवान 18-18 घंटे तक ट्रेन में ड्यूटी करते हैं। आरपीएफ के खाली पद भरे जाने चाहिए। यात्री अभी भी डर के साए में सफर करते हैं। इस मामले में वरिष्ठ अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।



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