ओबीसी यलगार परिषद: भुजबल ने उठाया सवाल - मनोज जारांगे के लिए कोई कानून नहीं है क्या

  • मंत्री छगन भुजबल ने उठाया सवाल
  • बतौर सरपंच चुनकर आने की दी चुनौती
  • ओबीसी यलगार परिषद में भरी हुंकार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-09 15:44 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। मराठा योद्धा मनोज जारांगे पाटिल और राज्य सरकार के खाद्य व आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल के बीच जोरदार बयानबाजी का दौर चल रहा है. शनिवार को पुणे के इंदापुर तालुका में ओबीसी यलगार परिषद में भी यही देखने को मिला. जारांगे ने भुजबल को अपने एक बयान में येवला (नासिक में भुजबल का निर्वाचन क्षेत्र) का पगला कहकर संबोधित किया था. इस पर भुजबल ने जारांगे को पानी की ऊँची टंकी पर चढ़ा हुआ गधा बताकर उनकी खिल्ली उड़ाई. जारांगे की रात-बरात होनेवाली सभाओं पर सवाल उठाते हुए भुजबल ने कहा कि, क्या मनोज जारांगे के लिए कोई कानून नहीं है? वे रात-रात भर, कभी भी बैठकें और सभा करते रहते हैं। पुलिस भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. इससे सवाल उठता है कि क्या राज्य में कानून व्यवस्था है? भुजबल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, जालना में पुलिस पर पथराव किया गया. महिला पुलिसकर्मियों पर हाथ उठाया. इसके बाद पुलिस ने अपने बचाव में लाठीचार्ज कर दिया. राज्य के गृह मंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने विधानसभा में लिखित जवाब दिया है. मैं यह दो महीने से कह रहा हूं लेकिन कल फड़णवीस ने विधानसभा में भी बता दिया. राज्य में कई जगहों पर पुलिस पर हमले किये गये. हमारे बारे में न बोलेन जब बोलो तो अच्छा बोलो। नहीं तो हम बदमाशी का जवाब बदमाशी से देंगे. पुलिस को समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए अन्यथा दोबारा परिणाम भुगतना होगा। हमारा मराठा समुदाय से कोई विरोध नहीं है. लेकिन भुजबल ने कहा कि हम बढ़ते भीड़तंत्र के खिलाफ हैं. क्या हर्षवर्द्धन पाटिल, विजयसिंह मोहिते पाटिल को कुनबी सर्टिफिकेट चाहिए? उन्हें बोलना चाहिए. उनकी मांग है कि पूरा मराठा समुदाय आरक्षण चाहता है. अगर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में एक भी मराठा नहीं बचेगा।

मनोज जारांगे ने नारायण कुचे के शारीरिक व्यंग्य की आलोचना की थी. भुजबल ने इसकी एक ऑडियो क्लिप चलाकर कहा गया कि किसी के शारीरिक व्यंग्य पर इस तरह मजाक उड़ाना गलत है. जारांगे पाटिल तो बुद्धि से विकलांग हैं. उन्होंने कहा, जारांगे मेरे बारे में कुछ भी अनाप शनाप बकते हैं. एक बयान में मुझे येवला का पगला कहा. अरे जब उसका जन्म भी नहीं हुआ था तब 1985 में मैं मुंबई का महापौर और दो बार विधायक बना। इतना ही नहीं भारत में महापौरों के अध्यक्ष भी बने। भुजबल ने जारांगे पाटिल को चुनौती दी कि वह केवल किसी गाँव का सरपंच चुनकर आकर दिखाए। मैं जहां भी जाऊं वहां गांवबंदी..गांवबंदी. घनसावंगी गांव में दो फ्लैक्स लगाए गए. एक बोर्ड था मराठा आरक्षण के लिए गांवबंदी दूसरी तरफ एक और बोर्ड लगा था, विधायक रोहित पवार की यात्रा का स्वागत। बाकियों के लिए गांवबंदी और पवार का स्वागत.. वहां पवार ने भाषण दिया. जब गांव के एक लड़के ने सवाल उठाया तो अगले दिन उसकी पिटाई कर दी गई. उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार कोई किसी को नहीं रोक सकता. कोई कहीं भी जा सकता है. यदि कोई उसके कार्य में बाधा डालता है तो उसे एक माह का कठोर कारावास भुगतना पड़ता है।

गोपीचंद पडलकर पर फेंकी चप्पल

भुजबल ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे आरक्षण में खलल न डालें. अगर बिहार जनगणना कर सकता है तो आप क्यों नहीं. हमें हमारा हक मिलना चाहिए. दो माह के अंदर निर्गत कुनबी प्रमाण पत्र निलंबित करें. मराठा आरक्षण अलग से दो। छगन भुजबल ने कहा, ओबीसी से आरक्षण न दें. इसके बाद छगन भुजबल ने मनोज जारांगे की नकल की. भुजबल ने हिंदी भाषा को लेकर जारांगे का मजाक उड़ाया. भुजबल ने कहा, जब मैं गांव से गुजरता हूं तो सड़क को गोमूत्र से धोया जाता है. वे सड़क धोते हैं क्योंकि मैं शूद्र हूँ। हां मैं शूद्र हूं. आप हमारे साथ शूद्र बनने के लिए कुनबी सर्टिफिकेट मांग रहे हैं। इस सभा में भुजबल के साथ भाजपा नेता गोपीचंद पडलकर ने भी आक्रामक भाषण करते हुए मनोज जारांगे की आलोचना की. इसके बाद इंदापुर में मराठा समुदाय आक्रामक हो गया है. मराठा समुदाय की मांग है कि गोपीचंद पडलकर के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. दो समुदायों की भूख हड़ताल आमने-सामने चल रही है. अपने भाषण के बाद गोपीचंद पडलकर ओबीसी समुदाय के अनशन स्थल पर जा रहे थे. तब उनका और मराठा प्रदर्शनकारियों से आमना- सामना हुआ. इसी दौरान उनपर चप्पल फेंकी गई. हालाँकि मराठा प्रदर्शनकारियों ने इससे इंकार किया है.


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