अदालत का सवाल: क्या मजिस्ट्रेट कोर्ट और जेलों में आरोपियों को पेश करने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछे सवाल
- आरोपियों को पेश करने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है
- मजिस्ट्रेट कोर्ट और जेलों को लेकर सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या मुंबई समेत प्रत्येक मजिस्ट्रेट अदालत में आरोपियों को पेश करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं और क्या जेलों में ऐसी सुविधाएं हैं? अदालत ने राज्य सरकार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक (कारागार एवं सुधार सेवाएं) के एक हलफनामे पर गौर करने के बाद यह सवाल किया। अदालत इस मामले में दायर याचिका पर 5 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति भारती एच.डांगरे की एकलपीठ के समक्ष वकील विनोद काशिद की ओर से दायर आरोपी त्रिभुवन रघुनाथ यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। राज्य जेल विभाग की ओर से सरकारी वकील अरुणा एस.पई ने अदालत के समक्ष हलफनामे पेश किया, जिसमें कहा गया था कि आवेदक को सुनवाई की निश्चित तारीख पर पेश करने के लिए ट्रायल कोर्ट से तलोजा जेल को कोई आदेश नहीं मिला था। इसलिए उसे उन तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के सामने पेश नहीं किया गया था। जेल विभाग ने कहा कि अंधेरी के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 17 अगस्त को वारंट जारी करने के बाद आवेदक को तुरंत पेश किया गया था। पई ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी करना अनिवार्य है और इसके अभाव में आरोपी को अदालत के सामने पेश नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं के वकील काशिद ने राज्य के दावों का विरोध करते हुए कहा कि यह उम्मीद नहीं की जाती है कि मजिस्ट्रेट प्रत्येक आरोपी को पेश करने के लिए वारंट जारी करेगा, जिसका मामला अलग-अलग उद्देश्य के लिए न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध है। पीठ ने कहा कि इस पहेली के समाधान की आवश्यकता है। उन्होंने मामले में अदालत की सहायता के लिए अधिवक्ता सत्यव्रत जोशी को न्याय मित्र नियुक्त किया। न्यायाधीश ने जोशी से कहा कि वह आरोपी व्यक्तियों की पेशी के लिए एक व्यावहारिक वैकल्पिक समाधान खोजने में अदालत की सहायता करें, क्योंकि बार-बार आरोपी व्यक्तियों की ओर से शिकायत की जाती है।