बॉम्बे हाईकोर्ट: जांच केवल इसलिए पुलिस से किसी विशेष एजेंसी को हस्तांतरित नहीं की जा सकती
- मराठी अभिनेत्री भाग्यश्री मोटे की याचिका खारिज
- बहन की मौत की जांच पुलिस से लेकर सीआईडी या सीबीआई को सौंपने की थी मांग
- अभिनेत्री की याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि जांच केवल इसलिए पुलिस से किसी विशेष एजेंसी को हस्तांतरित नहीं की जा सकती, क्योंकि जांच संबंधित पक्ष के लिए यह आकर्षक नहीं है। मराठी अभिनेत्री भाग्यश्री मोटे ने 32 वर्षीय बहन की संदिग्ध मौत की जांच पुलिस से लेकर सीआईडी या सीबीआई को सौंपने की मांग की थी। न्यायमूर्ति एन.डब्ल्यू.साम्ब्रे और न्यायमूर्ति एन.आर.बोरकर की खंडपीठ ने अभिनेत्री भाग्यश्री मोटे की याचिका को खारिज ने कहा कि एक जांच एजेंसी पर बोझ नहीं डाला जा सकता है। निष्पक्ष और त्वरित जांच के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभियोजन पक्ष की सराहना करना आवश्यक है। भाग्यश्री मोटे ने याचिका में अपनी 32 वर्षीय बहन मधु की मौत की जांच पुलिस से लेकर महाराष्ट्र आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने की मांग की थी। मोटे का आरोप था कि उसकी बहन की उसके ससुराल वालों ने हत्या कर दी, क्योंकि वे उसे अपनी संपत्ति में हिस्सा नहीं देना चाहते थे। जबकि पुलिस मधु की मौत में किसी भी तरह की साजिश से इनकार किया। मृतक के ससुराल वालों ने दावा किया कि उन्होंने अपने बेटे और बहू को बहुत पहले ही त्याग दिया था, क्योंकि वह शराबी थे।
अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए मामले की जांच स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है कि शिकायतकर्ता को जांचकर्ता की जांच पसंद नहीं आ रही है। खंडपीठ ने कहा कि अदालत को इस सिद्धांत के प्रति संवेदनशील होने की समान रूप से आवश्यकता है कि स्थानांतरण का आदेश सिर्फ इसलिए नहीं दिया जाता है, क्योंकि एक पक्ष जांच को किसी निष्कर्ष पर ले जाना चाहता है। अदालत ने जांच दस्तावेजों पर गौर करने के बाद कहा कि पुलिस ने विस्तृत जांच की है और हर संभावना पर गौर किया है। मधु पुणे के पिंपरी-चिंचवड़ के वकाड में एक कमरे में मृत पाई गई थी, जहां वह अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए किराए की संपत्ति की तलाश में गई थी।