अफवाहों से बचें: बदलापुर बदसलूकी मामले में शुरू हुई इंटरनेट सेवा, स्टेशनों पर बढ़ाई गई सुरक्षा
- ठाणे से बदलापुर के बीच रेलवे स्टेशनों पर बढ़ाई गई सुरक्षा
- प्रशासन ने की अफवाहों से बचने की अपील
- बच्चियों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता - हाई कोर्ट
डिजिटल डेस्क, ठाणे. बदलापुर के आदर्श स्कूल में बच्चियों सेबदसलूकी मामले के बाद बंद की गई इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है। इस बीच बच्चियों के स्वास्थ्य को लेकर गलत जानकारियां प्रसारित होने की खबर पुलिस को मिली हैं। जिसके बाद प्रशासन ने लोगों से अफवाहों से बचने की अपील की है। सुरक्षा के मद्देनजर ठाणे से बदलापुर की बीच के सभी रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बदलापुर मेंगुरुवार को तनावपूर्ण शांति रही। शहर की इंटरनेट सेवा बुधवारआधी रात के बाद बहाल हो गई। गुरुवार शाम बच्चियों औरउनके परिवार की स्थिति के बारे में तरह-तरह की बातें सोशल मीडिया पर घूमती रहीं। जिसके बाद परिवार के करीबियों ने इसे अफवाह बताया और प्रशासन ने भी लोगों से ऐसी अफवाहों पर विश्वास न करने की अपील की है। हालांकि शहर शांत है लेकिन किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ठाणे से बदलापुर के बीच मध्य रेलवे के सभी स्टेशनोंपर कड़ी सुरक्षा तैनात है। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिएठाणे पुलिस, त्वरित कार्रवाई बल, दंगा नियंत्रण दल की तैनाती की गई है। मंगलवार को हुए आंदोलन में तोड़फोड़ और पथराव से जुड़े मामले में अब तक 61 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि 8 महिला आंदोलन कर्ता और 4 नाबालिगों को नोटिस देकर छोड़ दिया गया है। डॉ. ज्ञानेश्वर चव्हाण, संयुक्त पुलिस आयुक्त के मुताबिक पीड़ित बच्चियों की हालत ठीक है। किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें। ऐसे गलत संदेशोंसे पीड़ित परिवार के मनोबल पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए सभी को ऐसे गलत संदेश फैलाने से बचाना चाहिए।
बच्चियों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता - हाईकोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर में बच्चियों से बदसलूकी की घटना पर गुरुवार को स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने इस घटना को स्तब्ध करनेवाली करार देते हुए कहा कि बच्चियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि घटना की जानकारी होने के बावजूद मामला दर्ज न कराने के लिए स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए पुलिस को भी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल किया कि जब तक जनता आक्रोश न दिखाए तब तक क्या तंत्र सक्रिय नहीं होगा। पीठ ने मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को 27 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार बताए कि लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है। इस पर महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि संबंधित स्कूल प्राधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी इसके अलावा एक बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कर लिया गया है तथा दूसरी पीड़ित बच्ची का बयान दर्ज किया जाएगा।