आरएसएस मानहानि मामला: हाईकोर्ट से राहुल गांधी को अंतरिम राहत, 3 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई
- हाई कोर्ट से राहुल गांधी को अंतरिम राहत
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डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट से सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आरएसएस मानहानि को लेकर शिवडी कोर्ट में दायर मामले में अंतरिम राहत मिल गई। इस मामले में अगली सुनवाई 3 अप्रैल को रखी गई है तब तक राहुल गांधी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। आरोप है कि साल 2017 में राहुल गांधी ने कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या मामले में आरएसएस का हाथ होने की बात कही थी।
इस मामले में राहुल गांधी के अलावा सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी के खिलाफ भी मानहानि का केस दर्ज है। न्यायमूर्ति एन.जे.जमादार की एकलपीठ के समक्ष सोमवार को राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में शिवडी कोर्ट में चल रही कार्यवाही को चुनौती दी गई है। शिवडी कोर्ट ने फरवरी 2019 में वकील और आरएसएस कार्यकर्ता ध्रुतीमान जोशी की निजी शिकायत के आधार पर राहुल गांधी और येचुरी को समन जारी किया था। जोशी ने शिवडी कोर्ट में 2017 में राहुल, तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी के खिलाफ शिकायत दायर की थी। अदालत ने राहुल को समन जारी किया था, जबकि सोनिया गांधी और सीपीआईएम के खिलाफ शिकायत खारिज कर दी थी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बारसू क्षेत्र के पास ऐतिहासिक स्मारकों की संरक्षण के लिए दायर जनहित याचिका पर मांगा जवाब
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने रत्नागिरी जिले के बारसू-सोलगांव क्षेत्र के पास प्राचीन रॉक आर्ट-पेट्रोग्लिफ्स (जियोग्लिफ्स) की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और यूनेस्को की विश्व धरोहर अस्थायी सूची में जियोग्लिफ्स को शामिल है। इसलिए याचिका में इसकी सुरक्षा एवं संरक्षण का अनुरोध किया गया है। इस क्षेत्र में ग्रीन रिफाइनरी परियोजना प्रस्तावित है। इससे ऐतिहासिक स्मारकों के नष्ट होने का खतरा है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को रत्नागिरी जिले के दो किसान और मुंबई में रहने वाले बारसू गांव के मूल निवासी की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि बारसू-सोलगांव समेत कोंकण क्षेत्र में जिन स्थलों पर ज्योग्लिफ्स स्थित हैं, उनके आसपास किसी भी विकासात्मक या औद्योगिक कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती है। एएसआई ने इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए ज्योग्लिफ्स साइटों को यूनेस्को को सौंपने के लिए कदम उठाए हैं। ऐसे में जियोग्लिफ्स को सुरक्षा और संरक्षण दी जानी चाहिए।
खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल कर 24 अप्रैल तक जवाब देने का निर्देश दिया है। पिछले साल ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं ने ग्रीन रिफाइनरी परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इससे जियोग्लिफ्स को नुकसान पहुंचाएगी। सरकारी अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण जियोग्लिफ्स को स्थायी क्षति का खतरा है