बुलेट ट्रेन परियोजना: सरकार को भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे में बढ़ोतरी के लिए निर्णय लेने का निर्देश
गोदरेज और बॉयस की याचिका पर 30 दिनों में लें फैसला
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को गोदरेज द्वारा दायर याचिका पर एक महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया। याचिका में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के लिए विक्रोली में गोदरेज की जमीन के अधिग्रहण के लिए दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति बी.पी.कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एम. एम. सथाये की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को गोदरेज कंपनी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर और उप कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) के मामले में निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही कंपनी ने याचिका में मुआवजा बढ़ाने की मांग की है। खंडपीठ ने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को कंपनी के आवेदन पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया। कंपनी और सरकार 2019 से बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई के विक्रोली इलाके में कंपनी के स्वामित्व वाली भूमि के अधिग्रहण को लेकर कानूनी विवाद में उलझी हुई है।
गोदरेज की दलील है कि शुरुआत में मुआवजा 572 करोड़ रुपए तय किया गया था, लेकिन जब अंतिम निर्णय पारित किया गया, तो मुआवजा राशि घटाकर 264 करोड़ रुपए कर दी गई। कंपनी अब मुआवजा राशि बढ़ाकर 993 करोड़ रुपए करने की मांग कर रही है। इस साल फरवरी में अदालत ने अधिग्रहण कार्यवाही को चुनौती देने वाली कंपनी द्वारा दायर एक याचिका खारिज कर दी। खंडपीठ ने तब यह भी कहा था कि कंपनी उसे दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग कर सकती है।
कंपनी ने उसकी याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन कहा कि मुआवजे में वृद्धि का मुद्दा छह महीने की अवधि के भीतर तय किया जाएगा। गोदरेज ने अपनी याचिका में कहा है कि उसने फरवरी 2023 में कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) के समक्ष एक आवेदन दायर कर मुआवजे में वृद्धि के लिए एलएआरआर प्राधिकरण को एक निर्णय लेने का अनुरोध किया था, लेकिन कलेक्टर ने कोई कार्रवाई नहीं की। अप्रैल 2023 में कंपनी ने एलएआरआर प्राधिकरण के समक्ष एक आवेदन कर कलेक्टर को एक निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की। एलएआरआर प्राधिकरण ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह कलेक्टर को निर्णय लेने का निर्देश नहीं दे सकता।
इसके बाद गोदरेज ने कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर की निष्क्रियता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में दावा किया गया कि यह बिल्कुल मनमाना, स्पष्ट रूप से अनुचित और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। राज्य अधिकारी जानबूझकर इस मुद्दे में देरी कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए कुल 508.17 किलोमीटर रेल ट्रैक में से लगभग 21 किलोमीटर को भूमिगत करने की योजना है। भूमिगत सुरंग के प्रवेश बिंदुओं में से एक विक्रोली (गोदरेज के स्वामित्व वाली) में भूमि पर पड़ता है।